‌‌‌अहियापुर हत्याकांड में एसपी तत्परता व एडीएम की सुझबूझ आई काम

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-एक घायल का पैर कटा, दूसरे व्यक्ति खतरे से बाहर
बक्सर खबर। अहियापुर में हुए तीहरे हत्या कांड की चर्चा सर्वत्र हो रही है। इस घटना में प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। कोई पुलिस पर अंगलू उठा रहा है। तो कोई प्रशासन की गतिविधि पर। लेकिन, इस पूरे घटना क्रम में आलोचना के साथ कुछ ऐसा भी रहा। जिसकी प्रशंसा भी हो रही है। एसपी शुभम आर्य की तत्परता व एडीएम कुमारी अनुपम सिंह की सुझबूझ।

वहीं दूसरी तरफ जिन दो घायलों को उपचार के लिए वाराणसी के ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया है। वे खतरे से बाहर बताए जा रहे हैं। लेकिन, उनमें से एक मंटू यादव (26) का पैर चिकित्सकों ने काट दिया है। क्योंकि गोली लगने से उनका पैर घुटने से नीचे खराब हो गया था। दूसरे घायल पूजन यादव (40) को गोली जांघ में लगी थी। जो गहरा घाव बनाकर बाहर निकल गई है। उनके घाव का भी सफल ऑपरेशन हो गया है। दोनों लोग खतरे से बाहर बताए जा रहे हैं। घटना के बाद गांव में तनाव बना हुआ है। मौके पर पुलिस बल तैनात है।

प्रशासन की कार्रवाई के बारे में पूछने पर वहां के कुछ सुलझे लोगों ने कहा, इस घटना में दो अधिकारियों की तत्परता प्रशंसा के योग्य है। सबसे पहले मौके पर पहुंचने वाले एसपी शुभम आर्य। और सड़क जाम होने के बाद भी दो किलोमीटर पैदल चलकर मौके पर पहुंचने वाले एडीएम कुमारी अनुपम सिंह। एसपी ने आम जन के आक्रोश के बाद भी सालीनता से काम लिया। तीन-तीन हत्याओं के बाद लोग तरह-तरह की बाते रहे थे।

दूसरी तरफ महिलाएं भी आक्रोश में थी। लेकिन, मौके पर पहुंची इकलौती प्रशासनिक पदाधिकारी कुमारी अनुपम सिंह की सुझबूझ का परिणाम रहा। मृतकों का शव वहां से अस्पताल भेजा गया। हालांकि वहां दो सवाल उठ रहे थे। थानेदार पर कार्रवाई क्यूं नहीं, मनोज यादव सामुदायिक भवन व किसान भवन पर कब्जा कर बैठा है, उसके खिलाफ कार्रवाई क्यूं नहीं? इन दोनों सवालों में बड़ा पेंच यह था कि थानेदार इंस्पेक्टर पद वाले हैं। उनके खिलाफ डीआइजी को निर्णय लेना है। और अवैध कब्जे का निर्णय भी डीएम के यहां से ही होना है। लेकिन, एक बात तय है, जब लोग सवाल करते हैं तो प्रशासन का जवाब देना मजबूरी हो जाती है।

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