साईं उत्सव वाटिका में चल रही सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का समापन बक्सर खबर। शहर के सिविल लाइंस स्थित साईं उत्सव वाटिका में चल रही सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का समापन बुधवार को भक्तिमय वातावरण में हुआ। अंतिम दिन आचार्य रणधीर ओझा ने शिशुपाल वध से कथा की शुरुआत की और धर्म की स्थापना में श्रीकृष्ण की भूमिका का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि शिशुपाल वध से यह संदेश मिलता है कि सहिष्णुता की भी सीमा होती है। इसके बाद राजसूय यज्ञ का प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने धर्म और सत्ता के संगम पर प्रकाश डाला। श्रीकृष्ण के विवाह प्रसंगों को उन्होंने सामाजिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बताया।
सुदामा चरित्र का वर्णन करते ही कथा पंडाल भावविभोर हो उठा। श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता को आचार्य श्री ने निष्काम भक्ति और आत्मीयता की पराकाष्ठा बताया। आखिर में यदुकुल संहार और श्रीकृष्ण के ब्रह्मलीन होने की कथा ने श्रोताओं को वैराग्य का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि हर आरंभ का एक अंत होता है और भगवान भी जब अपना कार्य पूर्ण कर लेते हैं तो संसार से विदा लेते हैं। अंतिम दिन आरती, भजन-कीर्तन और प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। कथा में गुड्डू सिंह, वार्ड पार्षद संगीता सिंह, पंकज उपाध्याय, विनोद सिंह सहित कई श्रद्धालुओं की सक्रिय सहभागिता रही।