रावण ने साधु वेश में किया सीता का हरण

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लक्ष्मण जी ने काटे रावण की बहन सूर्पणखा की नाक, श्रद्धालु हुए भावविभोर                                            बक्सर खबर। नगर के किला मैदान स्थित रामलीला मंच पर चल रहे 22 दिवसीय विजयादशमी महोत्सव में शनिवार की रात दर्शकों ने वह प्रसंग देखा, जिसने पूरे पंडाल को जय श्रीराम के उद्घोष से गूंजा दिया। वृंदावन से आए सुप्रसिद्ध रामलीला मंडल राधा माधव रासलीला एवं रामलीला संस्थान के स्वामी सुरेश उपाध्याय “व्यास जी” के निर्देशन में सूर्पणखा नासिका भंग व सीताहरण प्रसंग का मंचन किया गया। राम, लक्ष्मण और सीता के पंचवटी प्रवास के दौरान रावण की बहन सूर्पणखा का आगमन दिखाया गया। सौंदर्य से मोहित होकर उसने दोनों भाइयों को विवाह का प्रस्ताव दिया। बार-बार मना करने के बाद भी जब वह नहीं मानी तो लक्ष्मण ने उसकी नाक काट दी।

सूर्पणखा रोती हुई खर-दूषण और त्रिसरा के पास गई, जिन्होंने श्रीराम से युद्ध किया और प्रभु के हाथों मारे गए। नाक कटने से अपमानित सूर्पणखा ने रावण को सब बताया। इसके बाद रावण ने मारीच को स्वर्ण मृग बनाने भेजा। मृग के पीछे श्रीराम दूर निकल गए और इसी बीच साधु वेश में आए रावण ने छल से माता सीता का हरण कर लिया। रास्ते में जटायु ने रावण को रोकने का प्रयास किया लेकिन घायल हो गया। घायल अवस्था में जटायु ने ही श्रीराम को सीता हरण की सूचना दी। यह दृश्य देखकर श्रद्धालु भावविभोर हो उठे।

फोटो – किला मैदान में रामलीला का मंचन देखती महिलाएं, बच्चे व अन्य श्रद्धालु

रामलीला से पूर्व दिन में कृष्णलीला मंडली द्वारा भक्त प्रहलाद प्रसंग का मंचन हुआ। हिरण्यकश्यप के अत्याचारों और उसके अमरता के वरदान को दर्शाया गया। लेकिन विष्णुभक्त प्रहलाद ने भक्ति नहीं छोड़ी। होलिका दहन का प्रसंग भी दिखाया गया, जिसमें अग्नि से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका जलकर भस्म हो गई। अंत में भगवान विष्णु ने नरसिंह रूप धारण कर हिरण्यकश्यप का अंत किया। दोनों प्रसंगों का मंचन देखते ही उपस्थित लोग भावविभोर हो गए। इस दौरान समिति के सचिव बैकुंठनाथ शर्मा, संयुक्त सचिव सह मीडिया प्रभारी हरिशंकर गुप्ता, कोषाध्यक्ष सुरेश संगम सहित कई पदाधिकारी मौजूद रहे।

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