रामेश्वर नाथ मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा सुन भावविभोर हुए श्रद्धालु बक्सर खबर। रामरेखा घाट स्थित रामेश्वर नाथ मंदिर प्रांगण में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर सिद्धाश्रम सेवा के सानिध्य में चल रही श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के दूसरे दिन आचार्य रणधीर ओझा ने अपने ओजस्वी प्रवचन से श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। उन्होंने कहा कि जब धर्म के चार स्तंभों- सत्य, तप, दया और शौच में से तीन डगमगाने लगे, तब केवल सत्य ही बचा था। जब कलियुग ने सत्य को भी निगलने की कोशिश की, तब भगवान ने राजा परीक्षित के रूप में धर्म की पुनर्स्थापना की योजना बनाई।
उन्होंने बताया कि सत्य केवल सच बोलना नहीं, बल्कि वह ईश्वरीय शक्ति है जो धर्म को स्थिर रखती है। राजा परीक्षित के दिव्य जन्म की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जब अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र चला कर गर्भस्थ शिशु की हत्या करनी चाही, तब भगवान श्रीकृष्ण स्वयं गर्भ में प्रवेश कर सत्य और धर्म की रक्षा के लिए परीक्षित की रक्षा की। यही कारण है कि परीक्षित का जन्म भगवान की लीला माना जाता है।

महर्षि नारद के चरित्र पर प्रकाश डालते हुए आचार्य श्री ने कहा कि नारद मुनि केवल गायक या संत नहीं, बल्कि सनातन धर्म के पुजारी, भक्ति मार्ग के अग्रदूत और सत्य के संवाहक हैं। उन्होंने ध्रुव, प्रह्लाद और वाल्मीकि जैसे अनेक व्यक्तित्वों को धर्म और भक्ति के मार्ग पर प्रेरित किया। जैसे ही आचार्य श्री ने भगवान के गर्भ में प्रवेश की लीला का वर्णन किया, पूरा कथा स्थल “जय श्रीकृष्ण” के उद्घोष से गूंज उठा।