तिरंगे में लिपटा गांव लौटा पार्थिव शरीर, इलाज के दौरान तोड़ा दम बक्सर खबर। चौसा नगर पंचायत के नारायणपुर गांव निवासी 35 वर्षीय राजेश चौबे की मंगलवार को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। वर्ष 2018 में वे सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। पहली तैनाती नक्सल प्रभावित सुकमा में मिली थी। इन दिनों उनकी पोस्टिंग मुजफ्फरपुर में थी। इसी दौरान अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के बावजूद वे जीवन की जंग हार गए।
मंगलवार को उनका पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटा गांव पहुंचा तो नारायणपुर में मातम पसर गया। मां पूनम देवी और पत्नी ब्यूटी चौबे अपने जांबाज बेटे और पति को खोकर बेसुध हो गईं। मां शव देखकर बार-बार अचेत हो रही थीं। वहीं, मासूम बेटियां कृतिका चार वर्ष और इशिका दो वर्ष माहौल समझे बिना भीड़ और मातम देखकर लोगों की आंखें नम कर रही थीं। गांव के लोगों की भारी भीड़ अंतिम दर्शन को उमड़ पड़ी। हर जुबां पर बस यही नारे थे “भारत माता की जय” और “शहीद राजेश अमर रहें”। चौसा श्मशान घाट पर पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। छोटे भाई मुकेश चौबे ने उन्हें मुखाग्नि दी।

राजेश अपने पांच भाइयों में सबसे बड़े थे। छोटे भाई मुकेश, विश्वामित्र, दीपक, रोहित और मनीष हैं। ग्रामीणों ने बताया कि बचपन से ही राजेश राष्ट्रसेवा के लिए समर्पित थे। सीआरपीएफ में भर्ती होकर उन्होंने न सिर्फ परिवार बल्कि पूरे जिले का नाम रोशन किया। राजेश चौबे की असमय मृत्यु ने पूरे इलाके को शोक में डुबो दिया। उनकी अंतिम यात्रा में ग्रामीणों के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकारी और बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी शामिल हुए और श्रद्धांजलि अर्पित की।