कारागार की दीवारों के बीच जागी उम्मीद की लौ

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सेंट्रल जेल में योग दिवस पर ध्यान-योग कार्यशाला का आयोजन                                                            बक्सर खबर। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर केंद्रीय कारागार में एक विशेष योग एवं ध्यान कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह आयोजन विचाराधीन और सजायाफ्ता बंदियों के मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक रूपांतरण के उद्देश्य से किया गया। कार्यशाला का संचालन आर्ट ऑफ लिविंग की प्रशिक्षिका और समाजसेविका वर्षा पांडेय ने किया। उन्होंने बंदियों को क्रोध, अवसाद और आत्मग्लानि जैसे भावों से बाहर निकलने के लिए सरल श्वास तकनीकें और ध्यान विधियों का अभ्यास कराया। उन्होंने कहा, “योग आत्मा की यात्रा है, जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाती है।”

सत्र में बड़ी संख्या में बंदियों ने भाग लिया और गहराई से जुड़ाव महसूस किया। कई बंदियों ने कार्यक्रम के अंत में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्हें पहली बार आत्मिक शांति और स्थिरता का अनुभव हुआ। कार्यक्रम के दौरान हेम दास चौधरी और श्वेत प्रकाश जैसे अनुभवी वालंटियर्स ने योगाभ्यास का प्रदर्शन कर प्रतिभागियों को तकनीकी सहायता दी।जेल प्रशासन ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं बंदियों में सकारात्मक सोच और आत्मबोध को जगाने में कारगर होती हैं। यह कार्यशाला केवल योग का अभ्यास नहीं, बल्कि आशा, क्षमा और आत्मशुद्धि की दिशा में एक कदम थी।

 

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