बोलें, रामायण-महाभारत से जुड़ी मृण्मूर्तियां जिले की अनमोल धरोहर बक्सर खबर। बक्सर की धरती अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध रही है। इसी विरासत को देखने के लिए दुनिया के प्रमुख आर्ट हिस्टोरियन में से एक प्रोफेसर रॉब लिनरौथ शनिवार को सीताराम उपाध्याय संग्रहालय पहुंचे। वहां की रामायण और महाभारत से जुड़ी दुर्लभ मृण्मूर्तियां देखकर वे मंत्रमुग्ध हो उठे। प्रो. रॉब लिनरौथ ने कहा कि चौसा गढ़ से प्राप्त मृण्मूर्तियां अत्यंत दुर्लभ हैं और यह क्षेत्र प्राचीन भारतीय कला का अद्भुत केंद्र रहा है। उन्होंने चौसा गढ़ के पुरातात्विक उत्खनन की रिपोर्ट जल्द प्रकाशित करने की जरूरत बताई ताकि इस धरोहर को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल सके। संग्रहालय प्रभारी डा. शिव कुमार मिश्र के अनुसार, प्रो. लिनरौथ अमेरिका के नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी, शिकागो में एमेरेटस प्रोफेसर हैं और पिछले एक दशक से बिहार की प्राचीन मूर्तियों पर अध्ययन कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि प्रोफेसर पहली बार बक्सर आए और यहां मौर्य काल से भी पहले की मृण्मूर्तियों को देखकर उन्होंने प्रशंसा की। प्रोफेसर रॉब ने कहा कि “यहां की मूर्तियों की हेयरस्टाइल और स्टोन स्कल्पचर वाकई अद्वितीय हैं।” प्रो. रॉब का भारत से जुड़ाव नया नहीं है। वे पहली बार 1975 में भारत आए थे और 1989 में पीएचडी के दौरान नालंदा, राजगीर और बोधगया जैसे स्थलों पर अध्ययन किया था। 2016 से लगातार वे बिहार की हिन्दू, बौद्ध और जैन मूर्तियों पर शोध कर रहे हैं। उन्होंने मिथिला और उड़ीसा की मूर्तियों पर भी कई शोध आलेख और पुस्तकें प्रकाशित की हैं। प्रोफेसर ने अपने अध्ययन कार्य में लगातार सहयोग देने के लिए डा. शिव कुमार मिश्र के प्रति आभार जताया।कार्यक्रम में अनिकेत कुमार, मोहम्मद आशिक, रामरूप ठाकुर, अभिषेक चौबे, अभिनंदन कुमार, झूना सहित अन्य संग्रहालय कर्मियों ने भी सक्रिय सहयोग दिया।




























































































