विभागीय अनदेखी से उबल रहा आक्रोश, 26 को पटना में आम सभा बक्सर खबर। राज्य की अधीनस्थ अदालतों के न्यायिक कर्मचारियों में प्रोन्नति और पुनरीक्षित वेतनमान को लेकर गहरा आक्रोश पनपता जा रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय के कई स्पष्ट आदेशों के बावजूद पिछले दो दशक से उनके मामलों की अनदेखी हो रही है, जिससे उनमें हताशा और निराशा बढ़ती जा रही है। बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष राजेश्वर तिवारी ने बताया कि 6 दिसंबर को संघ की आभासी बैठक में राज्य पदाधिकारी, जिलाध्यक्ष और सचिवों ने एक स्वर में कहा कि पटना उच्च न्यायालय अधीनस्थ अदालतों के कर्मियों की प्रोन्नति और वेतन संवर्धन पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है।
बैठक में नेताओं ने बताया कि जनवरी 2025 में हड़ताल के दौरान कर्मचारियों को एक माह के भीतर प्रोन्नति और अन्य मांगों पर विचार का आश्वासन दिया गया था, लेकिन पूरा साल बीत जाने के बाद भी कोई प्रगति नहीं दिखी। दूसरी ओर, राज्य सरकार के अन्य विभागों के कर्मियों को प्रोन्नति मिल चुकी है, जबकि न्यायिक कर्मचारी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और 2008 की सरकारी अधिसूचना के बावजूद लाभ से वंचित हैं। कर्मचारी नेताओं का कहना है कि राज्य सरकार का कहना कुछ और है और उच्च न्यायालय की बात अलग। दोनों ही एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं, जबकि कर्मचारी वर्षों से मूल कोटि के पद पर ही सेवा देकर सेवानिवृत्ति तक पहुंच रहे हैं। कुछ पदाधिकारियों ने इसे दो पाटों में पिसने जैसा बताया। बैठक में कुछ कर्मचारियों ने सुझाव दिया कि जब मांगों पर विचार ही नहीं हो रहा, तो अवकाश के दिनों में रिमांड कार्य बाधित कर विरोध जताया जाए, जिससे सरकार के लॉ एंड ऑर्डर पर असर दिखे।

हालांकि इस पर अंतिम निर्णय पटना में होने वाली बैठक में लेने का प्रस्ताव रखा गया। सभी पदाधिकारियों ने निर्णय लिया कि 26 दिसंबर को बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ की आम सभा पटना में होगी, जिसमें अंतिम रणनीति पर विस्तृत चर्चा की जाएगी। बैठक में यह भी सहमति बनी कि सरकार के लापरवाह पदाधिकारियों के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अवमानना मामले में संज्ञान लेने हेतु प्रार्थना की जाएगी, क्योंकि 2009 के आदेश की लगातार अनदेखी गंभीर मामला है।



























































































