–मौजूदा दौर में यहां के युवाओं को लेना है यह फैसला
बक्सर खबर। बिहार के विकास की जब भी बात होती है। तो लालू प्रसाद यादव के शासनकाल की याद आती है। वह ऐसा समय था। जब हर तरफ जंगल राज था। खुलेआम लूटपाट, हत्या, बलात्कार, अपहरण, धांधली, सरकारी नौकरियों में पूरी तरह भाई-भतीजावाद ,शहर के गुंडों की सरकारी नौकरी में भर्ती। गांव के चुनिंदा लोगों के यहां सैकड़ों की संख्या में आकर लूटपाट। एक दौर तो ऐसा आया कि पोछे के कपड़े तथा कपड़े सुखाने की रस्सी तक की चोरी होने लगी। राह चलते साइकिलों और मोटरसाइकिलों की लूट, मकान पर कब्जा और कब्जे के लिए हत्या।
पालतू जानवरों की चोरी, स्कूल कॉलेज की पढ़ाई ठप, परीक्षा तथा सेशन का लेट होना, रोजगार धंधों का बंद हो जाना, व्यापारियों का पलायन, पढ़ाई तथा नौकरी के लिए पलायन और कई अनगिनत अपराध आम बात थी। अगर आज के नौजवानों को इन सब बातों का ज्ञान या आभास नहीं हो तो आप अपने मां-बाप,दादा-दादी,मामा-मामी,नाना-नानी से पूछ ले और उन सारे भुक्तभोगियों से इसकी जानकारी ले सकते हैं। केंद्र की कांग्रेस की सरकार मूकदर्शक बनकर देखती रही। बिहार की निरीह और असहाय जनता यह सब सहती रही। कानून के रखवाले इन सारे के सारे अपराधों में कहीं ने कहीं शामिल रहे। जब शासन बदला और भाजपा और नीतीश की एनडीए सरकार आई, तब सब कुछ रातों-रात बदलना चालू हो गया।
अपराधियों की गिरफ्तारी और उन पर कानूनी शिकंजा कसने लगा। रात का सफर आसान हो गया। हत्या, लूट, अपहरण और सारे अपराधों पर लगाम लग गया। उस समय एक ही चूक हुई कि सारे के सारे अपराधियों पर मुकदमा चलना चाहिए था तथा सजा होनी थी। भाजपा जदयू तथा एनडीए के नेतृत्व की सरकार के शासनकाल में आज का बिहार बिल्कुल ही अलग, विकास की ओर अग्रसर है, और आज सभी क्षेत्रों में विकास की नई गाथा लिख रहा है। इन बातों की वकालत करते हुए विनोद चौबे ने कहा। इस विषय को लेकर कुछ समय पहले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में गोष्ठी हुई थी। तब मैंने यह बातें रखी थी। आज इसकी चर्चा इस लिए जरुरी है क्योंकि, बिहार विधानसभा का चुनाव सामने है। ऐसे में यहां की जनता को यह निर्णय लेना है। बिहार का विकास कैसे होगा।