-जाने अर्घ्य और प्रदक्षिणा का मंत्र, पांच बार अनिवार्य
बक्सर खबर। आज श्री गणेश चतुर्थी व्रत मनाया जा रहा है। इसे बहुला व्रत के नाम सभी जाना जाता है। बहुला भगवान कृष्ण की प्रिय गौ थी। घर में सुख-शांति व संतान पर विशेष कृपा के लिए इसे मनाया जाता है। इस व्रत को करने वाली माताएं अखंड निर्जला व्रत करती हैं। और चन्द्रोदय के उपरांत उनका दर्शन कर अर्घ्य अर्पित करती है। फिर व्रत समाप्त होता है। व्रत की चर्चा आज विशेष नहीं। क्योंकि व्रत आज ही मन रहा है।
आज हम यह जानेंगे अर्घ्य का समय क्या है। और उसे किस मंत्र से दना चाहिए। ज्योतिषाचार्य पंडित नरोत्तम द्विवेदी बताते हैं, मंगलवार को रात 8:37 बजे चन्द्रोदय होगा। इसके उपरांत अर्घ्य अर्पित किया जा सकता है। इसके दो मंत्र हैं प्रदीक्षा और अर्घ्य देने के अलग-अलग।
चन्द्रार्घ मंत्र-– क्षीरोदार्णवसम्भूत,अत्रिगोत्र समुद्भव:।ग्रहाण अर्घ्यं शशांकेद रोहिणी सहितो मम।।
प्रदक्षिणा मंत्र-– यानि कानि च पापानि जन्मांतरेव कृतानि च।तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणा पदे पदे।।
ध्यान रहे, अर्घ्य और प्रदक्षिणा दोनों पांच-पांच बार होना चाहिए।