विश्व मृदा दिवस पर किसानों ने सीखी नई तकनीकें

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कृषि विज्ञान केन्द्र में प्रशिक्षण कार्यक्रम, मिट्टी की सेहत सुधारने पर जोर                                                      बक्सर खबर। विश्व मृदा दिवस के अवसर पर कृषि विज्ञान केन्द्र में शुक्रवार को लालगंज स्थित प्रक्षेत्र परिसर में एक दिवसीय किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का मकसद किसानों को मृदा स्वास्थ्य, मृदा परीक्षण और मृदा स्वास्थ्य कार्ड के महत्व की आसान भाषा में जानकारी देना था। रहथुआं, मझवारी, नाथपुर और गुरूदास मठिया से आए किसानों ने इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कार्यक्रम की शुरुआत वरिष्ठ वैज्ञानिक सह प्रमुख डॉ. देवकरण ने किसानों का स्वागत करते हुए की। उन्होंने कहा कि मिट्टी को स्वस्थ रखने के लिए रासायनिक खादों पर निर्भरता कम करनी होगी। जैविक और प्राकृतिक खेती को अपनाने से खेत की उर्वरता बढ़ती है और लंबे समय तक उत्पादन अच्छा मिलता है। तकनीकी सत्र में रबी मौसम में विशेषकर तिलहनी फसलों में पोषक तत्व प्रबंधन के गुर बताए गए।

विशेषज्ञों ने किसानों को मृदा नमूना लेने की सही विधि समझाई। साथ ही मृदा परीक्षण रिपोर्ट के आधार पर उर्वरक के उपयोग की विस्तार से जानकारी दी गई। राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन अर्थात तिलहन के तहत जिले में चल रहे सरसों और तीसी के क्लस्टर अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन के बारे में भी किसानों को बताया गया। वैज्ञानिकों ने उन्नत किस्में पूसा मस्टर्ड–37 और सबौर तीसी–2 की खासियत साझा की। कार्यक्रम में प्रगतिशील किसान विनोद सिंह, अरुण कुमार पांडेय और दिनेश पॉल ने अपने-अपने खेती के अनुभव साझा किए, जिससे नए किसानों को काफी प्रेरणा मिली। प्रशिक्षण के अंत में उपस्थित किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड भी वितरित किए गए, ताकि वे अपनी मिट्टी की स्थिति जानकर फसल और उर्वरक का बेहतर चयन कर सकें। कार्यक्रम में 50 से अधिक किसानों ने भाग लिया। इस दौरान तारामुनि देवी, अजोरी देवी, तेतरी देवी, आशा देवी, अशर्फी देवी, किरण देवी, रमाकांत राम, चंदन यादव, जर्नादन राम सहित कई किसान मौजूद रहे। कार्यक्रम के सफल आयोजन में रवि चटर्जी, राकेश मणि, राजेश कुमार राय और मुकेश कुमार का विशेष सहयोग रहा।

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