डुमरांव मंदिरों की विरासत बचाने पहुंचे विशेषज्ञ, संग्रहालय निर्माण का सुझाव

0
310

बक्सर खबर। डुमरांव राजगढ़ परिसर में मौजूद प्राचीन मंदिरों की दीवारों पर बने दुर्लभ भित्तिचित्र तेजी से क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। इन्हें बचाने के लिए डुमरांव राज परिवार की पहल पर इन्डियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज के लखनऊ निदेशक डॉ. धर्मेंद्र मिश्र ने डुमरांव का दौरा किया। उनके साथ सीताराम उपाध्याय संग्रहालय के प्रभारी डॉ. शिव कुमार मिश्र भी मौजूद रहे।

विशेषज्ञों ने बिहारी जी मंदिर के मुख्य द्वार, राजेश्वरी मंदिर और जानकीनाथ मंदिर के भित्तिचित्रों का बारीकी से अवलोकन किया। डॉ.धर्मेन्द्र मिश्र ने बताया कि इन मंदिरों की दीवारों पर बनी कलाकृतियां बहुत बेशकीमती हैं और उनका संरक्षण अत्यंत जरूरी है। उन्होंने सुझाव दिया कि इन चित्रों को सहेजने के साथ-साथ डुमरांव परिसर में मौजूद ऐतिहासिक वस्तुओं जैसे पुराने हथियार, जानवरों की खाल, हिरण के सिंग आदि को एक संग्रहालय का रूप दिया जा सकता है।

प्राचीन हथियार को देखते विशेषज्ञ डॉ धर्मेन्द्र मिश्रा 

डुमरांव राज परिवार की ओर से भोजपुर कोठी में डॉ. मिश्र का स्वागत किया गया। इस दौरान महाराज मानविजय सिंह, राजकुमार शिवांग विजय सिंह और समृद्ध विजय सिंह ने उन्हें डुमरांव की विरासत का विस्तार से परिचय कराया। डॉ. मिश्र ने कहा कि डुमरांव की धरोहरें न केवल स्थानीय बल्कि राष्ट्रीय महत्व की हैं। उन्होंने इस दिशा में उठाए जा रहे प्रयासों के लिए राज परिवार की सराहना की और उन्हें धन्यवाद भी दिया। डुमरांव दौरे के बाद डॉ. मिश्र ने जिला मुख्यालय स्थित सीताराम उपाध्याय संग्रहालय का भी निरीक्षण किया और वहां बन रही ‘चौसा मृण्मूर्ति दीर्घा’ की खूब तारीफ की। डॉ. शिव कुमार मिश्र ने कहा कि डुमरांव परिसर में मौजूद मंदिरों और इमारतों को देखकर ऐसा लगता है मानो पूरा इलाका खुद एक जीवित संग्रहालय हो। ऐसे धरोहरों को संरक्षित करना हम सभी की जिम्मेदारी है।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here