‌‌‌ दुष्कर्म का झूठा केस करने वालों के विरूद्ध केस दर्ज करने का आदेश

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-न्यायालय ने पाक्सो एक्ट के मामले में लिया संज्ञान, ऐसा केस करने वालों को मिलेगी सीख                            बक्सर खबर। पॉक्सो एक्ट जैसे संवेदनशील कानून का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ जिला अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए शुक्रवार को बड़ा आदेश दिया। जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश–6 सह पॉक्सो विशेष न्यायाधीश अमित कुमार शर्मा की अदालत ने एक झूठी प्राथमिकी दर्ज कराने के मामले में पीड़िता की मां और सूचक दोनों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई का निर्देश दिया है। इस फैसले से अदालत ने संदेश दिया कि कानून का गलत इस्तेमाल अब किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं होगा। अपर लोक अभियोजक सुरेश कुमार सिंह ने बताया कि सिकरौल निवासी अनंत चौधरी ने शिकायत दी थी कि उनकी समधन की नाबालिग बच्ची के साथ शौच के दौरान हथियार का डर दिखाकर दुष्कर्म किया गया। महिला थाना व सिकरौल थाना क्षेत्र से जुड़े इस मामले की पुलिस जांच में कई संदेह सामने आए।

पीड़िता का बयान बार-बार बदलता रहा, घटना 15 मार्च की, एफआईआर 28 मार्च को, पीड़िता ने मेडिकल और आंतरिक जांच से किया इंकार, घटना वाले कपड़ों की जानकारी नहीं, गवाहों और आरोपियों के मोबाइल लोकेशन में भारी विरोधाभास। पूरा घटनाक्रम पुलिस को संदेहास्पद लगा और 13 अगस्त को पुलिस ने पूरे मामले को झूठा बताते हुए फाइनल रिपोर्ट दे दी। अदालत में यह तथ्य भी सामने आया कि पीड़िता की मां पर पहले से शराब कारोबार का केस दर्ज है और वह जेल जा चुकी हैं। परिवार को शक था कि विपक्षी पक्ष ने ही उनके अवैध काम की शिकायत पुलिस को दी थी। इसी दुश्मनी में गंभीर धाराओं का सहारा लेकर यह झूठी एफआईआर दर्ज कराई गई। अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि  किसी को फंसाने के लिए नाबालिग को साधन बनाकर इतने घिनौने आरोप लगाना न्याय प्रणाली के साथ खिलवाड़ है। ऐसे कृत्यों को किसी भी परिस्थिति में माफ नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने पीड़िता की मां और सूचक के खिलाफ तुरंत मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया।

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