गांधी को सब मानते हैं, मगर कोई मानता नहीं: डॉ अरुण मोहन 

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भोजपुरी साहित्य मंडल ने मनाई गांधी जयंती, संगोष्ठी में रखी गई बेबाक राय                                                  बक्सर खबर। विप्र नगर स्थित कवि संजय सागर के आवास पर गुरुवार को भोजपुरी साहित्य मंडल की ओर से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर संगोष्ठी आयोजित हुई। विषय था वर्तमान परिप्रेक्ष्य में गांधी दर्शन की प्रासंगिकता। संगोष्ठी का प्रवर्तन मंडल अध्यक्ष डॉ अरुण मोहन भारवि ने किया। उन्होंने कहा कि गांधी को सब मानते हैं, मगर गांधी की कोई नहीं मानता। उन्होंने आगे कहा कि गांधी साध्य और साधन दोनों को महत्व देते थे।

इस मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को भी याद किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत गांधी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर और दीप प्रज्ज्वलित कर की गई।महासचिव वैरागी चतुर्वेदी ने कहा कि गांधी एक विराट व्यक्तित्व के धनी थे। उनका मानना था कि समाज के निचले पायदान पर खड़ा हर व्यक्ति सर्वोपरि है। उन्होंने कहा, आने वाली नस्लें गांधी के विराट व्यक्तित्व पर विश्वास नहीं करेंगी। गांधी को समझने के लिए उनके युग में जीना होगा और सत्य का अनुसंधान करना होगा।संगोष्ठी का संचालन संजय सागर ने किया। उन्होंने “गांधी मजबूरी नहीं” इस मिथक को तोड़ने के लिए कविता पाठ किया।

फोटो – संगोष्ठी में शामिल साहित्यकार, कवि व अन्य

दूसरे सत्र में कवि प्रीतम ने चला था जोर से सहमा हुआ…, नर्वदेश्वर पांडेय ने बेवफा मेरे दिल रुबा…, हृदय नारायण हेहर ने कुक्कुर के स्वभाव, वशिष्ठ पांडेय ने गांधी पर रचना सुनाई। कुशध्वज सिंह मुन्ना ने “रघुपति राघव राजा राम” प्रस्तुत किया, रमन पांडेय ने भारतीय राजनीति पर विचार रखे और मो. सैफी की गजल ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में गणेश उपाध्याय, मनोज कुमार सिंह, वैरागी प्रभाष चतुर्वेदी, शंभूनाथ मिश्रा, विनय कुमार राय, संजय कुमार पांडेय, महेश्वर ओझा, राम वृक्ष साह, अभय तिवारी और धनंजय गुड़ाकेश समेत कई साहित्य प्रेमी और विद्वान उपस्थित रहे।

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