रावण-अंगद संवाद, सेतु निर्माण से लेकर अक्रूर आगमन लीलाओं का मंचन बक्सर खबर। 22 दिवसीय विजयादशमी महोत्सव के सत्रहवें दिन मंगलवार की देर रात किला मैदान स्थित रामलीला मंच पर विभीषण शरणागत, सेतुबंध, रावण-अंगद संवाद और दिन में मंचित अक्रूर आगमन की लीला ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। लीला में दिखाया गया कि विभीषण भाई रावण को सीता माता को सम्मानपूर्वक लौटाने की सलाह देते हैं। अहंकारी रावण क्रोधित होकर दरबार से विभीषण को निकाल देता है। तब विभीषण श्रीराम की शरण में पहुंचते हैं, और श्रीराम उन्हें लंका का भावी राजा घोषित कर गले लगा लेते हैं।
इसके बाद भगवान श्रीराम समुद्र से मार्ग मांगते हैं। समुद्र देव प्रकट होकर नल-नील की शक्ति बताते हैं, जिससे पत्थर भी जल पर तैरने लगते हैं। सेना द्वारा सेतु निर्माण का भव्य दृश्य जब मंचित हुआ। लंका पर चढ़ाई से पूर्व अंगद को दूत बनाकर रावण के पास भेजने का प्रसंग दर्शाया गया। अंगद और रावण के बीच हुए संवाद में जहां अंगद ने शांति का संदेश दिया, वहीं रावण ने अपने अहंकार में प्रस्ताव ठुकरा दिया। यह दृश्य देखकर दर्शक रोमांचित हो उठे। दिन के सत्र में वृंदावन मंडली द्वारा अक्रूर आगमन की लीला मंचित हुई।

इसमें दिखाया गया कि कैसे अक्रूर, श्रीकृष्ण और बलराम को मथुरा आमंत्रित करते हैं। कृष्ण और बलराम मथुरा पहुंचकर रजक वध, धनुष भंग और अंततः कंस वध कर अपने माता-पिता को कारागार से मुक्त कराते हैं। दोनों लीलाओं के दौरान दर्शक बार-बार जय श्रीराम और जय श्रीकृष्ण के उद्घोष से झूम उठे। कार्यक्रम के दौरान आयोजन समिति के बैकुण्ठ नाथ शर्मा, हरिशंकर गुप्ता, सुरेश संगम, कृष्णा वर्मा, उदय सर्राफ, जोखन जी, चिरंजीलाल चौधरी, राजकुमार गुप्ता, नारायण राय सहित कई पदाधिकारी और सदस्य मुख्य रूप से उपस्थित रहे।