पुण्यतिथि पर याद किए गए भोजपुरी के महाकवि आचार्य गणेश दत्त किरण

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भोजपुरी साहित्य मंडल के अध्यक्ष बने अरुण मोहन भारवि व महासचिव डॉ. वैरागी                                            बक्सर खबर। स्थानीय आर्या एकेडमी में शनिवार को भोजपुरी साहित्य मण्डल के तत्वावधान में भोजपुरी के महाकवि आचार्य गणेश दत्त ‘किरण’ की पुण्यतिथि धूमधाम से मनाई गई। इस मौके पर न सिर्फ कवि की स्मृतियों को याद किया गया, बल्कि उनकी रचनाओं पर भी गहन विमर्श हुआ। जिले के बैरी गांव में 5 जून 1933 को जन्मे आचार्य किरण ने भोजपुरी साहित्य को नई पहचान दी। चीन युद्ध पर लिखी उनकी कृति ‘बावनी’ आज भी वीर रस की मिसाल मानी जाती है। वे न केवल छंद के ज्ञाता थे, बल्कि निर्गुण काव्य के भी बड़े लेखक रहे। इस मौके पर भोजपुरी साहित्य मण्डल की नई कार्यकारिणी का गठन हुआ। इसमें अध्यक्ष के रूप में प्रो. अरुण मोहन भारवि और महासचिव के रूप में डॉ. वैरागी प्रभाष चतुर्वेदी को चुना गया।

कार्यक्रम में प्रो. भारवि ने कहा कि “आचार्य किरण कलम के मजदूर नहीं, बल्कि जादूगर थे।” डॉ. शशांक शेखर ने मौलिक रचनाओं को महत्व देने की बात रखी। वहीं डॉ. वैरागी ने भावुक होते हुए कहा “किरण को किरण बनाने में उनकी पत्नी, जिन्हें वे ‘लिलिया के माई’ कहते थे, का अहम योगदान है।” कवि शिव बहादुर प्रीतम ने आचार्य किरण की वीर-रस कविताओं का ओजपूर्ण पाठ किया। इसके बाद धनंजय गुड़ाकेश, वशिष्ठ पाण्डेय, शशि भूषण मिश्र, संजय सागर, कुसध्वज सिंह मुन्ना, फारुख सैफी, रामेश्वर नाथ मिश्र बिहान, राजा रमन पाण्डेय, रामाधार सिंह और महेश ओझा महेश ने अपनी कविताओं से कार्यक्रम को गरिमामय बनाया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. अरुण मोहन भारवि ने की जबकि संचालन कवि प्रीतम ने किया। अंत में वरिष्ठ शिक्षक गणेश उपाध्याय ने सभी का आभार प्रकट किया।

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