कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ

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–पहले दिन आचार्य रणधीर ओझा ने सुनाई भागवत महिमा                                                                    बक्सर खबर। कृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर रामरेखा घाट स्थित रामेश्वर नाथ मंदिर में श्री सिद्धाश्रम विकास समिति के तत्वावधान में श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ धूमधाम से हुआ। कथा व्यास मामाजी के कृपापात्र आचार्य रणधीर ओझा हैं। पहले दिन कथा से पहले नाथ बाबा मंदिर के महंत पूज्य शीलनाथ जी महाराज, आचार्य रणधीर ओझा और उपस्थित भक्तों ने बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ का अभिषेक वैदिक मंत्रोच्चार व विधिवत पूजा-अर्चना कर कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके बाद महंत शीलनाथ जी महाराज ने व्यासपीठ की पूजा संपन्न कराई।

कथा के दौरान आचार्य रणधीर ओझा ने भागवत महात्म्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “यह भागवत शास्त्र साक्षात नारायण श्रीकृष्ण का स्वरूप है। जो इसका आश्रय लेता है, उसे भगवान की प्रेममयी भक्ति प्राप्त होती है।” उन्होंने बताया कि शास्त्रों में भगवान के 24 अवतार वर्णित हैं, लेकिन मर्यादा पुरुषोत्तम राम और लीला पुरुषोत्तम कृष्ण का अवतार सनातन धर्म के लिए प्राण के समान है। इनके बिना सनातन धर्म की कल्पना ही अधूरी है। आचार्य श्री ने कहा कि भगवान वेदव्यास ने 18 पुराण और 18 उपपुराण रचे, लेकिन उन्हें पूर्ण आत्मिक शांति श्रीमद्भागवत लिखने के बाद ही मिली।

बाबा रामेश्वर नाथ का अभिषेक और ब्यास पीठ की पूजा सम्पन्न करवाते शीलनाथ जी महाराज व अन्य

उन्होंने समझाया कि सभी पुराणों में सृष्टि, मन्वंतर और इतिहास का वर्णन है, लेकिन श्रीमद्भागवत का मुख्य केंद्र रसराज श्रीकृष्ण की अद्भुत और अलभ्य लीलाएं हैं। यही ग्रंथ राजा परीक्षित को केवल सात दिन में मोक्ष प्रदान करने वाला अद्वितीय शास्त्र है। अपने प्रवचन में आचार्य श्री ने कहा, “भागवत का सात्विक भाव से स्वाध्याय और कथा-श्रवण करने वाला व्यक्ति भगवान की प्राप्ति करता है और सांसारिक बंधनों से मुक्त होता है। इसकी शिक्षा हर काल में प्रासंगिक और उपयोगी है।” कथा के प्रथम दिन सत्यदेव प्रसाद, रामस्वरूप अग्रवाल, पीयूष पांडेय, पंकज उपाध्याय, डॉ सत्येंद्र ओझा, नागेश पांडेय, यशवंत सिंह, मंगल बाबा सहित सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे।

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