‌‌‌कवनो उपर से टपके चाहे है कवनो लंगड़ी मारे के फिराक में …

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बक्सर खबर (माउथ मीडिया) । बड़का घर वालन के किश्मत खराब है। दू सीजन से ओकर फसल मोआर हो जा रहा है। जब सीजन आता है, ससुरा ओकर छत टपके लगता है। अब देखिए फेर सीजन आया है। लेकिन, बगैर बारिश के ओकर छत टपके लगा है। तीन-चार गो घाघ नजर गडाए बइठल है। यह शब्द हैं बतकुच्चन गुरू के। मिल गए बीते दिन गुरू पूर्णिमा के मौके पर। मुझे देखते ही बोले का गुरू, तो हू के गुरू है का कोई। मैंने उनको राम सलाम किया। और उनका हाल जानना चाहा।

पर वह अपनी वाली कहां कहते हैं। समाज का सच बया करने लगते हैं। सो शुरु हो गए, बरसाती मेढ़क की कहानी सुनाने लगे। मैंने पूछा कहां टपक रहा है। वे हंस के बोले अरे गुरू तोहरे विधानसभा में कई मिला टपके चाहे हैं। आ काहे नहीं टपकेंगे। तो रे यहां अप्पन मनई के इज्जत करता कौन है। जौन के गोटी लहता है नहीं है। उ अपने घर के आटा में बालू मिलावे लगता है। ऐ सब मिला के खटपट के कारण दूसरे मजा मार लेता है। और इ बेरी तो अइस खेला हुआ है। जो अपने को मिर समझा रहा। ओकर दल वाला भी ओके लंगड़ी मार रहा है।

सोचता है दौड़ शुरू होवे से पहले मुहे भरे गिरा दें। रेस में रहेगा ही नहीं तो हमरा लह जाएगा। ससुरा राजनीति के खेल में टपका-टपकी अउर लगड़ा-लगड़ी का खेल शुरू हो गवा है। यह कहते हुए बतकुच्चन गुरू अपनी राह चल पड़े। कुछ देर मैं उनको जाते देखता रहा और फिर अपनी राह लौट आया। लेकिन, मेरे जेहन में यह सवाल अभी भी उठ रहा है। कौन टपकने के फिराक में है और किसको इस बार लगड़ी का सामना करना पड़ सकता है। (नोट माउथ मीडिया व्यंग कालम है। जो प्रत्येक शुक्रवार को प्रकाशित होता है। इससे जुड़े अपने सुझाव आप हमें कमेंट के माध्यम से दे सकते हैं। )

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