हक की लड़ाई में सड़कों पर उतरे मजदूर और आशा, 26000 रुपये वेतन और स्थायीकरण की मांग

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इटाढ़ी और सिमरी में आशा वर्कर्स का जोरदार प्रदर्शन, 14 सूत्री मांगों को लेकर दिखी एकजुटता              बक्सर खबर। अपनी मांगों को लेकर अब आशा और आशा फैसिलिटेटर आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। जिले के इटाढ़ी और सिमरी समेत विभिन्न प्रखंडों में बुधवार को जोरदार धरना-प्रदर्शन हुआ। आशा फैसिलिटेटर ने अपनी 14 सूत्री मांगों को लेकर सरकार से साफ कहा हमें सरकारी सेवक का दर्जा दो और 26000 मासिक वेतन लागू करो।

प्रदर्शनकारियों ने बताया कि कई आशा और फैसिलिटेटर बहनों को पिछले एक महीने से लेकर पांच महीने तक का बकाया भुगतान नहीं हुआ है। वहीं कोरोना काल की ड्यूटी का मेहनताना भी अब तक नहीं मिला। वे मांग कर रही हैं कि उस दौरान किए गए कार्य के लिए उन्हें 10000 रुपए का विशेष प्रोत्साहन दिया जाए। इटाढ़ी प्रखंड अध्यक्ष डेजी कुमारी ने कहा, “यह लड़ाई सिर्फ वेतन की नहीं, सम्मान और अधिकार की है। सभी आशा बहनें एकजुट रहें, तभी जीत मिलेगी।” वहीं सिमरी प्रखंड की सरस्वती देवी ने कहा कि जब तक मांगे पूरी नहीं होती, संघर्ष जारी रहेगा।

सड़क पर नारेबाजी करते मजदूर यूनियन के सदस्य

इसी के साथ 10 ट्रेड यूनियनों, स्वतंत्र फेडरेशन, संगठित-असंगठित मजदूरों और स्कीम वर्करों ने बुधवार को एकदिवसीय हड़ताल कर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। वामपंथी दलों ने भी इस हड़ताल का समर्थन किया और शहर में जुलूस निकालकर चक्का जाम किया। इस आंदोलन में भाग लेने वालों में प्रमुख रूप से पूर्व राज्यसभा सांसद नागेंद्र नाथ ओझा, पूर्व सांसद तेज नारायण सिंह, परमहंस सिंह, अरुण कुमार ओझा, भगवती प्रसाद, बालक दास, केदार सिंह, नागेंद्र सिंह, लकी जायसवाल, धीरेंद्र चौधरी, हरे राम सिंह, मनोज केसरी, रामजी सिंह, गंगा दर्शन, शिव शंकर सिंह, रामाश्रय प्रसाद आदि मौजूद रहे।

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