महागठबंधन के नेताओं ने ज्योति प्रकाश चौक पर किया प्रदर्शन, चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप, एनआरसी की साजिश बताई बक्सर खबर। बिहार में मतदाता सूची के ‘विशेष गहन पुनरीक्षण’ और मजदूर विरोधी बताए जा रहे नए चार श्रम कानूनों के खिलाफ इंडिया गठबंधन के बिहार बंद के आह्वान पर बुधवार को शहर में जबरदस्त प्रदर्शन हुआ। स्टेशन रोड स्थित ज्योति प्रकाश चौक पर राजद, कांग्रेस, भाकपा माले, वीआईपी, वाम दल समेत महागठबंधन के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने चक्का जाम कर दिया। सुबह साढ़े नौ बजे से लेकर सवा ग्यारह बजे तक चौक पूरी तरह बंद रहा। इस दौरान जोरदार नारेबाजी हुई और चुनाव आयोग की नीति को गरीब, दलित और अल्पसंख्यक विरोधी बताया गया। डुमरांव विधायक डॉ. अजीत कुमार सिंह ने कहा कि मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण गरीबों, दलितों, अल्पसंख्यकों और प्रवासी मजदूरों को वोट देने से रोकने की साजिश है।
उन्होंने कहा कि आधार, पैन, राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को अमान्य कर चुनाव आयोग अब पासपोर्ट, जन्म प्रमाणपत्र जैसे मुश्किल कागज मांग रहा है। उन्होंने आगे कहा कि बिहार जैसे राज्य में जहां दस्तावेज़ीकरण की ऐतिहासिक दिक्कतें रही हैं, वहां यह नियम लागू करना साफ तौर पर जनविरोधी और अल्पसंख्यक विरोधी है। विधायक ने सवाल उठाया कि जब 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रयुक्त मतदाता सूची वैध थी, तो अब अचानक उसे अवैध कैसे घोषित किया जा सकता है? उन्होंने इसे राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को लागू करने की गुप्त कोशिश बताया और कहा कि 7.75 करोड़ मतदाताओं की इतनी जल्दी जांच कर पाना असंभव है।

राजद जिलाध्यक्ष शेषनाथ सिंह ने कहा कि मतदाता सूची पुनरीक्षण का यह अभियान पारदर्शी नहीं है और इसे देशभर में एकसमान चलाना चाहिए। उन्होंने इसे विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा को फायदा पहुंचाने की साजिश बताया। सदर विधायक संजय कुमार तिवारी ने कहा कि इंडिया गठबंधन के आंदोलन का असर है कि अब चुनाव आयोग बैकफुट पर है और दस्तावेजों की अनिवार्यता में ढील देनी पड़ी है। राजपुर विधायक विश्वनाथ राम ने इसे बाबा साहब अंबेडकर द्वारा दलितों-गरीबों को दिए गए वोटिंग अधिकार पर हमला बताया और कहा कि इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वक्ताओं ने कहा कि अब तक सिर्फ 14 प्रतिशत फॉर्म ही वापस आए हैं। इसका मतलब है कि प्रारूप की जटिलता के कारण बड़ी संख्या में लोग खुद-ब-खुद बाहर हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि हर दिन चुनाव आयोग द्वारा नियमों में बदलाव यह साबित करता है कि यह योजना पूरी तरह अव्यवस्थित और अपारदर्शी है। अंत में इंडिया गठबंधन के नेताओं ने एक सुर में विशेष गहन पुनरीक्षण योजना को अविवेकपूर्ण, अलोकतांत्रिक और जनविरोधी बताते हुए इसे पूरी तरह से वापस लेने की मांग की।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टीएन चौबे ने कहा कि जब तक लोकतंत्र की रक्षा नहीं होगी, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग एनडीए सरकार के दबाव में काम कर रहा है और गरीब, पिछड़े, दलित और असहाय वोटरों के नाम जानबूझकर मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं।उन्होंने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला, फिर भी मिली-जुली सरकार बनाकर सत्ता में बनी हुई है। इससे पहले महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे राज्यों में भी वोटर लिस्ट में हेराफेरी कर सरकार बनाई गई थी। टीएन चौबे ने बताया कि इस मामले पर न्यायालय ने भी संज्ञान लिया है और 10 जुलाई को सुनवाई होनी है, जिससे जनता को पूरा भरोसा है कि सभी असली वोटरों को न्याय मिलेगा। उन्होंने राहुल गांधी के संविधान बचाओ अभियान का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी हर मोर्चे पर जनता के साथ खड़ी है और वोटर लिस्ट में हो रही गड़बड़ियों के खिलाफ आवाज उठाती रहेगी।

प्रदर्शन में पूर्व राज्यसभा सांसद नागेन्द्र नाथ ओझा, पूर्व सांसद तेज नारायण सिंह, राजद नेता जुल्फिकार अली भुट्टो, संतोष भारती, राजेश यादव, बबलू यादव, रामाशंकर सिंह कुशवाहा, भरत यादव, लाल बाबू यादव, इफ्तिखार अहमद डुड्डू, रंजना आनंद , श्वेता पाठक, पूजा कुमारी, अनिल सिंह, धनपति चौधरी,सरोज राजभर, निर्मल कुशवाहा, कांग्रेस नेता कामेश्वर पांडेय, टीएन चौबे, पंकज उपाध्याय सहित माले और अन्य संगठनों के सैकड़ों नेता-कार्यकर्ता शामिल हुए। माले नेता विसर्जन राम, हरेंद्र राम, विरेन्द्र सिंह, धर्मेंद्र यादव, खेग्रामस और एपवा जैसे संगठनों के पदाधिकारियों ने भी इस आंदोलन में शिरकत की।