बक्सर खबर। आज सुबह बतकुच्चन गुरू का फोन आया। मेरे कुछ कहने से पहले उन्होंने सवाल दागा। कहां हैं गुरु, फोन नहीं लग रहा है। मैंने बताया गांव आ गए हैं। बोले हम समझे एंटी रोमियो वालों से डर के भाग गए हैं। मैंने कहा नहीं ऐसी कोई बात नहीं। ठंड के कारण इन दिनों थोड़ी परेशानी है। और दूसरे सड़क जाम परेशान कर रहा है। वे बोले मजनू सब का पीछे तोहार पुलिस काहे पड़ी है। कौन मिला आइडीया दिया। इ सब का हो रहा है। अपराधी पकड़ा नहीं रहा है। छवड़ा सब के पुलिस घेर रही है। लप्पड़ मार रही है। कवनो के मुर्गा बना रही है। इ सब का हो रहा है। मैंने पूछा आपका क्या मतलब है। क्या इसे बंद करने की सलाह दी जाए। वे बोले इ कौन कहता है। बहुत दिन बाद अच्छा काम हुआ है। लेकिन सिर्फ मजनू कंपनी से काम नहीं चलेगा। एसपी को स्वयं निकलना चाहिए।
चौक-चौराहा पर बबरी झारे वालन के कान टाइट करना चाहिए। दू-चार को जीप में बइठा के शहर घुमाइए। आज कल के नेतवा सब बगैर हेलमेट के शहर में कालर टाइट करके घुमता है। ए सब के चलान काट के धराइए, तब पता चलेगा। लंबा भाषण देने से देश नहीं चलता। कानून का पालन करना और उ पर भाषण देने में का अंतर है। लेकिन इ सब के अलावा बैंक में लूट करे वाला पर भी ध्यान दीजिए। सिर्फ मजनू-मजनू करने से नहीं चलेगा। बतकुच्चन गुरू की बाते सुन मैं समझ नहीं पाया। वे पुलिस की प्रशंसा कर रहे हैं या खरीखोटी सुना रहे हैं। मैंने उनसे पूछा, आप कहना क्या चाहते हैं। मैं समझ नहीं पा रहा। मेरी बात सुन वे थोड़ी देर के लिए रुके। फिर बोले, अरे गुरू, सब करो, पर थोड़ा एक्शन में रहो। हनक बनी रहनी चाहिए। मैंने कहा जी, आपकी बात को मैं लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करूंगा।































































































