बक्सर खबर : महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा अधिक लोकप्रिय होती हैं। वे अपना काम भी जिम्मेवारी से करती हैं। अगर उनको मौका मिले तो वे पुरुषों को पीछे छोड देती हैं। यह बातें सच कर दिखाई है महिला मुखिया उर्मिला देवी ने। सिमरी प्रखंड के आशा पडरी पंचायत से वर्ष 2006 में इनके पति सरोज तिवारी ने मैदान में उतारा था। तब सीट महिला उम्मीदवार के लिए आरक्षित थी। लोगों का साथ मिला वह मुखिया बन गयी। उर्मिला स्वभाव से बहुत ही सहज व जुझारु हैं। उन्होंने स्वयं लोगों की समस्याओं को सूनना शुरू किया। देखते देखते उनकी चर्चा तेज तर्रार महिला मुखिया के रुप में होने लगी। समय गुजारा तो 2011 का चुनाव आ गया। यह वर्ष उनके कार्यकाल के लिए परीक्षा की घडी थी। जनता ने एक बार फिर उनको अपना प्रतिनिधि चुना। श्रीमति तिवारी ने इन पांच सालों में भी लोगों के साथ सीधा संवाद कायम किया। पंचायत की योजनाओं का उन्होंने स्वयं निरीक्षण किया। कहीं कोई मनमानी अथवा काम में लापरवाही न हो। इसका अवलोकन वह स्वयं करने लगी। जिसकी वजह से उनकी छवी श्वच्छ मुखिया की बनी। अपने दस साल के सेवा काल में उर्मिला ने जो किया। उसकी परीक्षा का समय एक बार फिर आ गया है। पर इस बीच पंचायत की सीट महिला नहीं रही। यह सामान्य वर्ग की खुली सीट हो गयी है। यह देखते हुए उनके पति सरोज तिवारी ने स्वयं नामांकन करने की सोची। पर पंचायत क्षेत्र की महिलाओं ने इसका विरोध शुरू कर दिया। उन्होंने तिवारी से कहा हमारा वोट उर्मिला देवी को मिलेगा, आपको नहीं। यह जान सरोज के कान खडे हो गए। पर वे करते क्या, पत्नी की लोकप्रियता को देख वे स्वंय मैदान से हट गए। एक बार फिर उर्मिला आशा पडरी पंचायत से पुरुष प्रत्याशियों को चुनौती देने उतरी हैं। देखना है नारी सशक्ति करण के इस युग में उनका साथ कितने लोग देते हैं। अथवा बहु से मुखिया बनी उर्मिला अपनी पहचान कायम रख पाती हैं।































































































