नगर परिषद में चल रही घपलेबाजी की खुल गई कलई

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-कार्यपालक पदाधिकारी व कर्मियों के विरूद्ध भ्रष्टाचार का आरोप सही
बक्सर खबर। नगर परिषद में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री का दरवाजा खटखटाने वाले रामजी सिंह को बड़ी सफलता मिली है। उनके द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप सही साबित हुए हैं। इसकी जांच कर रहे डीडीसी अशोक चौधरी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, नगर परिषद द्वारा जो कार्य पूर्व में किए गए हैं। उनमें अनियमितता उजागर हुई है। संबंधित पदाधिकारियों ने नियमों की अवहेलना कर होल्डिंग वसूली का कार्य गलत एजेंसी को सौंपा। जब उसका जवाब मांगा गया तो सही रिपोर्ट नहीं सौंपी गई। इससे विभागीय पदाधिकारियों की संलिप्तता उजागर हो रही है। जांच के क्रम में गंगा घाटों के लिए अलग से सफाई का टेंडर निकालने और राशि का बंदरबांट करने का आरोप भी सही पाया गया है। साथ ही टैक्स की वसूली करने वाले नप कर्मियों द्वारा 33 लाख से अधिक की राशि की हेराफेरी की गई है। हालांकि इसमें से कुछ राशि वापस विभाग के खाते में जमा की गई। लेकिन, जांच में यह स्पष्ट हो गया है कि, पूर्व की कार्यपालक पदाधिकारी प्रेम स्वरुपम ने नियमों की अनदेखी की है। मामला काफी गंभीर है और भ्रष्टाचार के खिलाफ इतनी लंबी लड़ाई लड़ने का माद्दा भी।

स्पैरो कंपनी को दिया गया था टैक्स वसूलने का जिम्मा
बक्सर खबर। पूर्व कार्यपालक पदाधिकारी प्रेम स्वरुपम के कार्यकाल में स्पैरो नाम की एजेंसी को शहर में टैक्स वसूली का जिम्मा दिया गया था। वह एजेंसी पूर्व से दागदार थी। बावजूद इसके नियमों में कई तथ्यों को शिथिल कर उसे कार्य सौंप दिया गया। जब इसकी शिकायत मुख्यमंत्री के जनता दरबार पहुंची तो वहां से जांच के आदेश मिले। तत्कालीन डीडीसी महेंद्र पाल को जिम्मा मिला। लेकिन, उन्होंने फाइल को लटकाए रखा। कहते हैं जो होता है, अच्छा ही होता है। उनका तबादला हुआ और उनकी जगह नए प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी अशोक चौधरी को मिली। उन्होंने शिकायत करने वालों की पूरी बात सूनी और नगर परिषद से जवाब मांगा। दोनों पक्ष के तथ्यों का अवलोकन कर उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि, नगर परिषद में अनियमितता उजागर हुई है।

नगर परिषद की फाइल फोटो

कर वसूली में 33 लाख की हेराफेरी का बात आई सामने
बक्सर खबर। जांच में यह आरोप लगा था कि नगर परिषद के कुछ कर्मचारी राजस्व संग्रह करने के बाद उसे कोष में जमा नहीं करते। अथवा उसमें कुछ हेराफेरी करते हैं। उसकी जांच में भी सत्यता पाई गई है। कुछ कर्मचारियों ने वह राशि नगर परिषद के खाते में जमा भी कराई है। लेकिन, 33 लाख रुपये के इस कोष में कितना जमा हुआ, और कितना कर्मियों ने अपने पास रख छोड़ा है। वह पूरी तरह हमारे संज्ञान में नहीं है। लेकिन, जांच रिपोर्ट में अनियमितता की बात स्पष्ट है।

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