पटना से रची गई थी साजिश, अब तक छह गिरफ्तार,असली शूटर अब भी फरार बक्सर खबर। चौंकाने वाले खुलासों के बीच पुलिस ने राजद नेता अर्जुन यादव हत्याकांड में मास्टरमाइंड सहित चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। हत्या की साजिश करोड़ों की कोयला टेंडर के विवाद में पटना के मरीन ड्राइव के पास रची गई थी। गिरफ्तार किए गए मुख्य आरोपी मनोरंजन उर्फ राजा पांडेय वही हैं, जिनके टेंडर को मृतक अर्जुन यादव ने पूर्व में रद्द करवा दिया था। पुलिस अधीक्षक शुभम आर्य ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि मनोरंजन पांडेय ही हत्या की पूरी साजिश के सूत्रधार हैं।
उन्होंने गोलू उपाध्याय और राजा दूबे के जरिए यह प्लान बनाया और हत्या की जिम्मेदारी अभिषेक राय उर्फ माल्लू और उनके साथियों को दी गई थी। हत्या को अंजाम देने के लिए मल्लू ने गाजीपुर से दो शूटर निखिल और दिनेश को तीन-तीन लाख रुपये में हायर किया था। हालांकि, पुलिस इन दोनों शूटरों तक अब तक नहीं पहुंच सकी है। इससे पहले गिरफ्तार किए गए दो अन्य तूफानी और एक नाबालिग ने डेढ़-डेढ़ लाख लेकर खुद को झूठा आरोपी बताया था ताकि असली आरोपियों को बचाया जा सके। पुलिस अधीक्षक शुभम आर्य ने बताया कि घटना को अंजाम देने के लिए दोनों शूटर और मल्लू 24 मई को ही चौसा आ गए थे।
हालांकि, उसी दिन अहियापुर हत्याकांड के चलते क्षेत्र में पुलिस की सक्रियता बढ़ा दी गई थी। इसके बावजूद, 24 और 25 मई को वे लोग चौसा थर्मल पावर प्लांट के मुख्य गेट के पास स्थित मनोरंजन पांडेय के कटरा एवं मकान में हथियारों के साथ रुके हुए थे। इसके बाद 26 मई को उन्होंने हत्या की घटना को अंजाम दिया। घटना के समय मुख्य आरोपित मनोरंजन पांडेय और वीरू उपाध्याय ने पुलिस को भ्रमित करने के उद्देश्य से अपना लोकेशन बदल लिया था। मनोरंजन पांडेय ने स्वयं को निजी कार्यों का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय एवं पटना एसएसपी कार्यालय में दिखाया, जबकि वीरू उपाध्याय ने अपना मोबाइल फोन बंद कर दिया था।

गिरफ्तार अभियुक्तों के नाम इस प्रकार हैं 1. मनोरंजन पांडेय उर्फ राजा पांडेय, निवासी बनारपुर, थाना मुफस्सिल
2. बीरू उपाध्याय उर्फ अजय उपाध्याय, निवासी शुक्रवलिया, थाना ईटाढ़ी
3. अभिषेक राय उर्फ मल्लू, निवासी इटवा कपरिया, थाना राजपुर
4. गोलू उपाध्याय उर्फ देव उपाध्याय, निवासी शुक्रवलिया, थाना ईटाढ़ी
5. तूफानी कुमार, पहले ही गिरफ्तार
6. एक नाबालिग, पहले ही गिरफ्तार
बरामदगी में घटना में प्रयुक्त 5 मोबाइल फोन शामिल हैं। हत्या में प्रयुक्त हथियारों की बरामदगी अब भी बाकी है। पहले गिरफ्तार हुए दो लोगों ने पुलिस को गुमराह किया था। उन्होंने डेढ़-डेढ़ लाख रुपये और एक चोरी की बाइक के बदले खुद को हत्याकांड में फंसाने की बात स्वीकारी। उन्होंने मनीष गुप्ता का नाम लिया था, जिसे कोलकाता से गिरफ्तार कर पूछताछ के बाद निर्दोष पाते हुए छोड़ दिया गया।पुलिस अधीक्षक शुभम आर्य ने बताया कि मामले की जांच वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर की जा रही है। शूटर निखिल और दिनेश की गिरफ्तारी के बाद ही हत्याकांड की पूरी सच्चाई सामने आएगी। फिलहाल पुलिस लगातार छापेमारी कर रही है। ठेकेदारी के खेल ने एक और जान ले ली। मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी से पुलिस ने भले बड़ी सफलता पाई हो, पर जब तक असली शूटर और हत्या में प्रयुक्त हथियार नहीं मिलते, यह जांच अधूरी मानी जाएगी। देखना होगा कि पुलिस कब तक पूरे मामले से पर्दा हटाती है।