राहुल सिंह की मौजूदगी से राजनीतिक तापमान उबाल पर

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-डुमरांव विधानसभा का बदल रहा है राजनीतिक समीकरण
बक्सर खबर। डुमरांव विधानसभा सीट पर एनडीए और महागठबंधन की सीधी टक्कर पिछले डेढ़ दशक से चल रही है। दो मर्तबा जदयू ने यहां से सफलता प्राप्त की। लेकिन, 20 के चुनाव में उसे महागठबंधन से शिकस्त मिली। लेकिन, इस बार एनडीए गठबंधन ने जो उम्मीदवार यहां से उतारा है। उसने महागठबंधन की परेशानी बढ़ा दी है। इसकी दो वजहें हैं। पहली जदूय ने ऐसा उम्मीदवार दिया है। जो सीधे विरोधी पर हमलावर है। नतीजा दूसरे पक्ष के उम्मीदवार भी अपनी सभा में सर्वाधिक चर्चा जदयू उम्मीदवार की ही करते नजर आ रहे हैं।

वे अपना प्रचार कम करते हैं, जदयू में अन्य कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की बात ज्यादा करते हैं। और जो चुनौती राहुल से मिल रही है। उसका तोड़ उन्हें नजर नहीं आ रहा। तभी तो मुद्दों से हटकर उनकी सभा में खरीद बिक्री पर चर्चा हो रही है। दूसरे राजद के कार्यकर्ता यहां अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। यह बात प्रदेश अध्यक्ष मगनीलाल मंडल की कार्यकर्ता बैठक में भी उठी थी। एक सदस्य ने तो यहां तक कहा था। हमारे कार्यकर्ता यहां परिश्रम करते हैं और लाभ किसी और को मिलता है। जिससे वे अपने आप को ठगा महसूस करते हैं। इन बातों से यह स्पष्ट हो गया है।

इस सीट पर संघर्ष रोचक हो गया है। इतना तो स्पष्ट कहा जा सकता है। 2020 से कड़ी टक्कर इस बार के चुनाव में विरोधी को मिल रही है। हालांकि डुमरांव विधानसभा सीट से इस बार 16 उम्मीदवार भाग्य आजमा रहे हैं। जिले में इतने उम्मीदवार किसी अन्य सीट पर नहीं हैं। यहां का हाल यह है कि बैलेट यूनिट के सभी बटन भर जाने से नोटा के लिए अलग से बैलेट यूनिट लगानी पड़ेगी। वहीं अन्य मजबूत उम्मीदवारों में बसपा के ददन यादव व जन सुराज के शिवांग विजय सिंह भी शामिल हैं। उनकी मौजूदगी ने डुमरांव की लड़ाई को रोचक बना दिया है। इन कारणों से यहां का राजनीतिक तापमान बढ़ा हुआ है।

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