कोर्ट का आदेश अनसुना करना पड़ा भारी, शिक्षक और शिक्षा पदाधिकारी को नोटिस

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एक सितंबर को हाजिर होकर देना होगा जवाब, आदेश की अनदेखी पर जताई सख्त नाराजगी                          बक्सर खबर। कुटुंब न्यायालय के आदेश को नजरअंदाज करना एक शिक्षक और बेसिक शिक्षा पदाधिकारी बलिया को भारी पड़ गया है। कोर्ट ने दोनों को अधिपत्र जारी करते हुए कारण बताओ नोटिस थमा दिया है और एक सितंबर को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर जवाब देने का निर्देश दिया है। पूरा मामला भरण-पोषण से जुड़ा है, जिसका केस संख्या 15/21 है। इस मामले में न्यायालय ने दिनांक 31 जुलाई 2024 को आदेश पारित करते हुए प्रतिवादी आलोक कुमार सिंह को 16,000 प्रतिमाह अंतरिम भरण-पोषण देने का निर्देश दिया था।

हालांकि, आदेश के बावजूद आलोक कुमार सिंह द्वारा भरण-पोषण की राशि का भुगतान नहीं किया गया। इसके बाद, कोर्ट ने दिनांक 25 जनवरी 2025 को बेसिक शिक्षा पदाधिकारी, बलिया को निर्देश दिया कि आलोक कुमार सिंह के वेतन से कटौती कर उक्त राशि का भुगतान सुनिश्चित करें। लेकिन न तो प्रतिवादी ने आदेश का पालन किया, न ही बेसिक शिक्षा पदाधिकारी बलिया ने कोई कार्रवाई की। इससे नाराज होकर कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश मनोज कुमार ने इसे न्यायालय की अवमानना मानते हुए सख्त रुख अपनाया और दोनों को कारण पृच्छा अधिपत्र जारी किया है। कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि अगर संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की जा सकती है।

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