विश्व एड्स दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम, शुरुआती जांच ही बचाव

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जन शिक्षण संस्थान में विशेषज्ञों ने बताई एचआईवी से बचाव का तरीका                                                     बक्सर खबर। विश्व एड्स दिवस के मौके पर सोमवार को जन शिक्षण संस्थान में एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस वर्ष की थीम “बाधाओं पर विजय, एड्स प्रतिक्रिया में परिवर्तन” रखी गई है, जो 2030 तक एड्स उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति, सहयोग और मानवाधिकार आधारित प्रयासों को मजबूत करने की जरूरत पर जोर देती है। कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने बताया कि एचआईवी के शुरुआती लक्षण अक्सर साधारण फ्लू जैसे होते हैं, जिस कारण लोग इसे हल्के में ले लेते हैं। तेज बुखार-ठंड, थकान, मांसपेशियों में दर्द, गले में खराश, सूजे हुए लिम्फ नोड्स, शरीर पर लाल चकत्ते, सिरदर्द, मतली व दस्त जैसे संकेत प्रारंभिक अवस्था में दिखाई दे सकते हैं।

बताया गया कि लगभग 90% मरीजों में संक्रमण के पहले महीने में कम-से-कम एक लक्षण अवश्य दिखता है, लेकिन कुछ दिन में ठीक होने पर लोग इसे एचआईवी से जोड़कर नहीं देखते। विशेषज्ञों ने कहा कि समय पर जांच और उपचार न केवल संक्रमित व्यक्ति के लिए बल्कि समाज की सुरक्षा के लिए भी बेहद जरूरी है। कार्यक्रम अधिकारी संजय कुमार सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि एड्स से डरने की नहीं, समझने और जागरूक रहने की जरूरत है। अगर किसी तरह के शुरुआती लक्षण दिखें तो तुरंत जांच कराएं और इलाज शुरू करें। कार्यक्रम में परिचारिका रीना शर्मा, रूबी कुमारी, बिन्दौली कुमारी सहित संस्थान के प्रशिक्षणार्थियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।

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