देश की संस्कृति को बचाना है, तो पहले आदिवासियत को बचाना होगा: रामजीत गोंड

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नेशनल ट्राइबल संवाद में देश के आदिवासियों की समस्याओं को मजबूती से रखा                                बक्सर खबर। झारखंड के जमशेदपुर में टाटा स्टील फाउंडेशन की ओर से महान आदिवासी नेता बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर शनिवार को आयोजित ट्राइबल संवाद में पूरे देश के जनजातीय समाज की आवाज एक मंच पर सुनाई दी। इस कार्यक्रम में 26 राज्यों से 153 जनजाति समुदाय के सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए। इसी कड़ी में बिहार से भी पांच आदिवासी कार्यकर्ता इस राष्ट्रीय कार्यक्रम का हिस्सा बने। सबसे खास रहा जिले के पवनी गांव के रहने वाले रामजीत गोंड का नेतृत्व, जिन्होंने बिहार ही नहीं बल्कि देशभर के आदिवासी समाज की बात पूरे दमखम से रखी।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रामजीत गोंड ने कहा कि हम किसी एक समुदाय की नहीं, आदिवासियत बचाने की बात करते हैं। वही आदिवासियत, जो प्रकृति, जंगल और पर्यावरण को सुरक्षित रखती है। अगर देश की संस्कृति को बचाना है, तो पहले आदिवासियत को बचाना होगा। उन्होंने आगे कहा कि आदिवासी समाज के जल, जंगल, जमीन, शिक्षा, सम्मान और संवैधानिक अधिकारों को प्राप्त कराने के लिए निरंतर संघर्ष जारी रहेगा। रामजीत गोंड की इस बेबाकी भरी आवाज ने कार्यक्रम में मौजूद सभी राज्यों के प्रतिनिधियों का ध्यान अपनी ओर खींचा और बिहार के आदिवासी समाज की पहचान को नई मजबूती दी।

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