-आंवले के नीचे भोजन व गुप्त दान का भी है विधान
बक्सर खबर। अक्षय पुण्य देने वाला अक्षय नवमी का त्योहार 21 नवंबर दिन मंगलवार को मनाया जाएगा। जिसे कुछ लोग आंवला नवमी भी कहते हैं। इस तिथि को गंगा स्नान करने, आंवले के वृक्ष को जल देने, उसके नीचे भोजन करने जैसे कई कार्य किए जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के ज्ञाता पंडित नरोत्तम द्विवेदी बताते हैं। आंवले के वृक्ष में बहुत से लोग धागा लपेटते हैं। जल देने के उपरांत पांच परिक्रमा करते हैं। इसके अलावा कुछ लोग 11, 51, 108 परिक्रमा करते हैं। इस तिथि को किए गए पुण्य कार्यों का फल व्यक्ति को हमेशा प्राप्त होता है।
भारतीय अध्यात्म के अनुसार यह तिथि सर्व फलदाई होती है। चार पुण्य फलदाई तिथियों में अक्षय नवमी प्रमुख तिथि है। इस वर्ष यह तिथि सोमवार की रात्रि 3:10 से प्रारंभ होकर मंगलवार की मध्य रात्रि 12:35 तक रहेगी। वैसे शास्त्रानुसार सुबह से लेकर दोपहर तक पूजा, दान, भोजन आदि करना श्रेयकर होता है। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार इस दिन भतुआ (एक प्रकार का फल) में गुप्त दान का विधान भी है। इसके अलावा परिवार के सदस्य धात्री फल अर्थात आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर सपरिवार भोजन करते हैं।
कुछ लोग घर से बनाया खाना भी लाकर खाते है। इसमें प्रधान व्यंजन दही-चूड़ा, पूरी-खीर, हलवा इत्यादि होते हैं। हालांकि इसके लिए किसी तरह की वर्जना नहीं है। परिवार अपनी सामर्थ्य के अनुसार कोई भी शुद्ध भोज्य पदार्थ लाकर खा सकता है। अथवा दूसरों को भी भोजन करा सकता है। ऐसी मान्यता है इसी तिथि को सतयुग की प्रारंभ हुआ था। भगवान विष्णु का त्रिरात्र व्रत भी प्रारंभ होता है।

































































































