आशा कार्यकर्ताओं का हल्ला बोल, सिविल सर्जन को सौंपा मांग पत्र

0
283

बढ़ा पारितोषिक स्वागत, लेकिन मानदेय और पेंशन की भी उठी मांग                                                                  बक्सर खबर। बिहार राज्य आशा एवं आशा फैसिलिटेटर संघ, जिला शाखा ने मंगलवार को सिविल सर्जन कार्यालय के सामने जोरदार प्रदर्शन किया। ‘धन्यवाद सह मांग रैली’ के जरिए उन्होंने बिहार सरकार को बढ़े हुए पारितोषिक के लिए धन्यवाद दिया, लेकिन बाकी लंबित मांगों को भी तुरंत पूरा करने की गुहार लगाई। रैली की अध्यक्षता डेजी देवी ने और संचालन अरुण कुमार ओझा ने किया। जिला संयोजक सह राज्य उपाध्यक्ष अरुण कुमार ओझा ने कहा कि सरकार ने पारितोषिक राशि को तीन गुना किया, यह स्वागतयोग्य है, लेकिन 12 अगस्त 2023 के समझौते के मुताबिक इसे “मानदेय” में बदला जाए और बढ़ी हुई राशि का भुगतान 1 सितंबर 2023 से किया जाए। बकाया राशि एकमुश्त मिले, सेवानिवृत्ति की उम्र 65 वर्ष हो, 10 लाख रुपये रिटायरमेंट बेनिफिट और 10,000 रुपये मासिक पेंशन मिले।

साथ ही उन्होंने भारत सरकार से लोकसभा के जवाब के मुताबिक 2000 की जगह 3500 प्रोत्साहन राशि देने के लिए आवंटन उपलब्ध कराने, आशा फैसिलिटेटर को पूरे महीने का भ्रमण भत्ता देने और योग्य फैसिलिटेटरों को बीसीएम में पदस्थापित करने की मांग की। ओझा ने कहा कि बिहार में सबसे पहले आशा को 2007 में संगठित किया गया था, जिसके लिए ऐतिहासिक संघर्ष करना पड़ा। उस समय 40 कर्मचारियों को फर्जी मुकदमों में 36 दिन जेल में रहना पड़ा और मुकदमे अब भी चल रहे हैं। उन्होंने कार्यकर्ताओं को राजनीतिक चालबाजों से सतर्क रहने की सलाह दी। अंत में डेजी कुमारी, मंजू कुमारी के नेतृत्व में सिविल सर्जन को मांग पत्र सौंपा गया और गगनभेदी नारों के साथ सभा समाप्त हुई। मौके पर मंजू कुमारी, कंचन कुमारी, नीतू देवी, लीला देवी, विमला देवी, माया देवी, उषा राय, मुनि प्रेमशिला, जीरा देवी, सरोज देवी समेत बड़ी संख्या में आशा एवं आशा फैसिलिटेटर मौजूद रहीं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here