कैथी लिपि सीखिए: बक्सर संग्रहालय में दो अगस्त से शुरू होगा प्रशिक्षण

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जमीन के कागजात पढ़ने में होगी आसानी, राजस्व व बैंक कर्मियों को प्राथमिकता                                           बक्सर खबर। अगर आप जमीन से जुड़े दस्तावेज नहीं पढ़ पा रहे हैं, तो अब चिंता की जरूरत नहीं। जिला मुख्यालय स्थित सीताराम उपाध्याय संग्रहालय में दो अगस्त से कैथी लिपि प्रशिक्षण कार्यशाला शुरू हो रही है, जिसमें तीन दिनों तक प्राचीन लिपि कैथी का ज्ञान दिया जाएगा। इस कार्यशाला का आयोजन संग्रहालय और इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज, पटना के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। संग्रहालयाध्यक्ष डा. शिव कुमार मिश्र ने बताया कि प्रशिक्षण दो से चार अगस्त तक चलेगा और इसके लिए 18 जुलाई से सीताराम उपाध्याय संग्रहालय में पंजीयन शुरू होगा। कार्यालय अवधि में पंजीयन का कार्य 30 जुलाई तक चलेगा।

इस प्रशिक्षण में सीमित सीटें हैं, इसलिए राजस्व कर्मचारी, अमीन, अधिवक्ता, बैंककर्मी और जमीन से जुड़े पेशेवरों को प्राथमिकता दी जाएगी। बता दें कि बिहार सरकार द्वारा जमीन सर्वे का कार्य चल रहा है और पुराने दस्तावेज अधिकतर कैथी लिपि में ही लिखे गए हैं। यही कारण है कि इनकी समझ जरूरी है, लेकिन अफसोस की बात यह है कि आज की पीढ़ी इस लिपि को पढ़ना नहीं जानती। बिहार में एक हजार वर्षों से भी अधिक समय से कैथी लिपि का चलन रहा है। कैमूर के बैजनाथ मंदिर, मधेपुरा के श्रीनगर, मधुबनी के अंधराठाढ़ी, भागलपुर के बटेश्वर मंदिर सहित कई स्थानों पर मिले शिलालेख इसका प्रमाण हैं। शेरशाह सूरी के समय से जमीन के दस्तावेज कैथी लिपि में लिखे जाने लगे। वीर कुंवर सिंह और दरभंगा महाराज के दस्तावेज भी इसी लिपि में हैं। न्यायालयों में लंबित अधिकतर विवाद जमीन से जुड़े हैं, और अधिवक्ता व अधिकारी भी इस लिपि को समझने में असमर्थ हैं जिससे न्याय प्रक्रिया प्रभावित होती है।

जानकारी देते संग्रहालयाध्यक्ष डॉ शिव कुमार मिश्र

इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज, मैथिली साहित्य संस्थान, बिहार पुराविद् परिषद, भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर जैसे संस्थानों के सहयोग से कैथी लिपि पर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई कार्यक्रम हो चुके हैं। पटना, दरभंगा, भागलपुर, नवादा और बेगूसराय में हजारों लोगों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। अब राजस्व विभाग भी अपने कर्मियों को इसके लिए प्रशिक्षित कर रहा है। प्रशिक्षकों में प्रीतम कुमार और वकार अहमद जैसे युवा शामिल हैं, जिन्होंने कई जिलों में सफलतापूर्वक प्रशिक्षण दिया है। इसके लिए एक बुकलेट भी तैयार की गई है। डा. मिश्र ने बताया कि उनके प्रयास से तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में छह महीने का कैथी लिपि सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू हुआ है। कला एवं संस्कृति पदाधिकारी प्रतिमा कुमारी ने कहा कि यह लिपि बिहार की सांस्कृतिक पहचान है और इसके संरक्षण के लिए यह आयोजन जरूरी है।

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