रामलीला महोत्सव : कैकेयी-मंथरा संवाद और जरासंध वध का मंचन 

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बुधवार को शाम 4:30 बजे किला मैदान से भगवान राम का वनगमन यात्रा, कमलदह पोखरा के समीप केवट संवाद का मंचन                                                                 बक्सर खबर। रामलीला समिति के तत्वावधान में किला मैदान स्थित रामलीला मंच पर चल रहे 22 दिवसीय विजयादशमी महोत्सव का दसवां दिन मंगलवार देर रात ऐतिहासिक और भावनात्मक दृश्यों से भरा रहा। विशाल मंच पर एक ओर कैकेयी-मंथरा संवाद का नाटकीय मंचन हुआ, तो वहीं दिन की कृष्णलीला में जरासंध वध का अद्भुत प्रदर्शन कर कलाकारों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। राधा माधव रासलीला एवं रामलीला मंडल, वृंदावन के कलाकारों ने स्वामी सुरेश उपाध्याय “व्यास” के निर्देशन में दशरथ, राम, कैकेयी और मंथरा के संवादों को जीवंत कर दिया।

दशरथ ने सफेद बाल देखकर राज्य श्रीराम को सौंपने का निश्चय किया और नगरवासियों में खुशी की लहर दौड़ गई। लेकिन मंथरा की कुटिल चालों से कैकेयी का हृदय बदल गया और उन्होंने अपने वरदानों का प्रयोग कर राम का वनवास और भरत का राज्य मांग लिया। राजा दशरथ का दुख और राम के प्रति प्रेम को देखकर दर्शकों की आंखें नम हो गईं। दिन की कृष्णलीला में कलाकारों ने जरासंध राक्षस की कथा का अद्भुत मंचन किया। भगवान शंकर और विष्णु के सहयोग से जालंधर का अंत दिखाया गया। वृंदा की पतिव्रता शक्ति के भंग होने पर उनका करुण विलाप और भगवान विष्णु को दिया गया श्राप दर्शकों को भावुक कर गया।

फोटो – रामलीला मंचन देखते श्रद्धालु।

कथा के अंत में वृंदा के प्राण त्यागने और उनके शरीर से तुलसी पौधे का प्रकट होना एक अद्भुत और भावनात्मक दृश्य रहा। साथ ही शालिग्राम शिला रूप में भगवान विष्णु का प्रकट होना पूरे मंचन को भक्ति से ओत-प्रोत कर गया। समिति के संयुक्त सचिव हरिशंकर गुप्ता ने बताया कि बुधवार को शाम 4:30 बजे किला मैदान से भगवान श्रीराम का वनगमन यात्रा निकलेगी। यह यात्रा नगर भ्रमण करते हुए कमलदह पोखर पहुंचेगी, जहां केवट संवाद का मंचन होगा। इसके बाद पुनः किला मैदान स्थित रामलीला मंच पर शेष लीलाओं का प्रदर्शन होगा।

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