132वीं जयंती पर याद किए गए महाकवि शिवपूजन सहाय

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पैतृक गांव उनवांस में हिन्दी भाषा और साहित्य के महान उन्नायक के प्रतिमा पर हुआ माल्यार्पण                          बक्सर खबर। हिंदी साहित्य के महान स्तंभ और पद्म भूषण से सम्मानित आचार्य शिवपूजन सहाय की 132वीं जयंती उनके पैतृक गांव उनवांस में बड़े ही श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई गई। आयोजन आचार्य शिवपूजन सहाय आयोजन समिति, उनवांस के तत्वाधान में हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता रजनीकांत गुप्ता ने की, जबकि संचालन बब्लू श्रीवास्तव ने किया। शुरुआत उनके प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुई। कार्यक्रम के संयोजक एवं कायस्थ परिवार के प्रदेश संयोजक सह अधिवक्ता मंच के जिलाध्यक्ष सुमन कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि आचार्य शिवपूजन सहाय हिंदी के ऋषि तुल्य साहित्यकार थे, जिनका साहित्यिक व्यक्तित्व हिमालय की ऊंचाइयों जैसा विशाल था। उन्होंने जीवनभर हिंदी भाषा और साहित्य के उत्थान के लिए कार्य किया। वे साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष, राष्ट्रभाषा परिषद के संस्थापक मंत्री और 1950 से 1959 तक बिहार राष्ट्रभाषा परिषद के निदेशक रहे।

साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके अद्वितीय योगदान के लिए उन्हें 1960 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। 1962 में भागलपुर विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टर ऑफ लेटर्स की मानद उपाधि प्रदान की। उनकी लेखनी ने अनेक साहित्यकारों की प्रतिभा को निखार और नई ऊंचाइयां दीं। सुमन श्रीवास्तव ने कहा, “ऐसे महान विभूति के जन्मस्थल पर रहना हम सभी के लिए गर्व की बात है। आज उनकी जयंती पर हम उन्हें नमन करते हैं।” कार्यक्रम में वरिष्ठ नेता विपिन सिंह, गोविंद सिंह, महेंद्र मिश्रा, सुनील सिंह, रामसागर सिंह, विनोद शुक्ला, वैदेही श्रीवास्तव, सत्यम श्रीवास्तव, मथुरा सिंह, सुशील कुमार श्रीवास्तव, हीरालाल पांडेय, कमलेश सिंह, मोहम्मद अजहर, मोहम्मद कैफ सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।

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