-तुलसी सरोवर तट पर भव्य गंगा आरती का आयोजन
बक्सर खबर। सावन की अंतिम सोमवारी को महाकालेश्वर महादेव की भस्म आरती का आयोजन रघुनाथपुर में किया गया। साथ ही यहां के ग्रामीणों के सहयोग से भव्य गंगा आरती भी आयोजित की गई। ग्रामीण स्तर पर ऐसा दिव्य आयोजन जिले में कहीं-कहीं होता है। यहां की भव्य तस्वीरें आप देखेंगे तो आपको ऐसा प्रतीत होगा। जिले में शायद की कहीं ऐसा दिव्य व विशाल शिवलिंग मौजूद हो। पवित्र सावन की अंतिम सोमवारी होने के कारण यहां पूरा गांव और आस-पास के शिवभक्त भी एक साथ एकत्र हुए थे। पूरा मंदिर परिसर शिवनाम के जयघोष और हर-हर महादेव की गुंजायमान हो रहा था।
इस पावन अवसर पर महाकालेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति के तत्वावधान में मंदिर के समीप स्थित तुलसी सरोवर के तट पर गंगा महाआरती आयोजन किया गया। विद्वान अर्चक राजू मिश्रा, गोपी मिश्रा एवं विकास मिश्रा के द्वारा काशी के दशाश्वमेध घाट की तर्ज पर की गई महाआरती को देखने के लिए न सिर्फ स्थानीय ग्रामीण, बल्कि आसपास के कई गांवों से भी श्रद्धालु उमड़ पड़े। जैसे ही गंगा महाआरती आरंभ हुई, दीपों की जगमग रोशनी, शंखनाद, घंटियों की ध्वनि और हर-हर महादेव के जयघोष से वातावरण गुंजायमान हो उठा। सरोवर की लहरों पर दीपों की झिलमिलाहट अत्यंत मनोहारी दृश्य प्रस्तुत कर रही थी।

इसके उपरांत इसके बाद मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ भगवान महाकाल की विशेष भस्म आरती संपन्न हुई। आरती से पूर्व विद्वान पंडित मुकेश पाण्डेय एवं सुनील तिवारी जी के द्वारा भक्तों का सामूहिक रुद्राभिषेक कराया गया। आयोजन के पश्चात श्रद्धालु भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया। पूरे आयोजन के दौरान श्रद्धालु शिव भक्ति में लीन रहे और हर-हर महादेव, जय श्री महाकाल के नारों से मंदिर प्रांगण गूंजता रहा। आयोजन को सफल बनाने में मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्यों – मदन चौधरी, संतोष सिंह, राजू मिश्रा, शैलेश ओझा, संतोष गुप्ता, विकास गुप्ता, सनोज, अंकित, रजनीश, छोटू, सहित कई स्थानीय युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
साथ ही स्थानीय ग्रामीणों ने भी बढ़ चढ़ कर सहयोग किया। मंदिर प्रबंधन समिति से जुड़े शैलेश ओझा ने बताया कि तुलसी आश्रम शैव और वैष्णव परंपरा का अनूठा संगम स्थल है। यहां मुगल काल से प्राचीन राम जानकी मंदिर स्थापित था। गोस्वामी तुलसीदास ने इस जगह को अपना तपोस्थली बनाया था और अब यहां महाकाल के मंदिर निर्माण होने के बाद से धार्मिक गतिविधियों और बढ़ गई है। आगे भी इस तरह का आयोजन किया जाएगा, जिससे श्रद्धालु सनातन की दिव्यता और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव कर सकें।