अमृत भारत में चोरी से लेकर शराब पकड़ने तक… आरपीएफ आगे, जीआरपी पीछे बक्सर खबर। स्थानीय रेलवे स्टेशन पर इन दिनों मानो दो टीमों की दौड़ लगी है, एक फुल स्पीड में, दूसरी पैदल मोड पर। आरपीएफ के जवान जैसे ‘एक्शन मोड’ में हैं, तो जीआरपी की चाल अब भी सरकारी घड़ी की तरह धीमी। अमृत भारत एक्सप्रेस में चोरी का खुलासा हो, यात्रियों के मोबाइल बरामद करना हो या फिर अवैध शराब पकड़ना-आरपीएफ ने हाल के दिनों में कई बार मैदान मारकर केस जीआरपी को सौंपा। रविवार को भी नजारा वही रहा आरपीएफ आगे, जीआरपी पीछे।
स्टेशन पर सघन जांच के दौरान गाड़ी संख्या 20802 के आते ही प्लेटफॉर्म नंबर एक से आरपीएफ बक्सर की टीम ने एक लावारिस बैग बरामद कर लिया। तलाशी ली तो निकला—टेट्रा पैक एट पीएम 80 पीस (175 मिली प्रत्येक), सिग्नेचर व्हिस्की 2 बोतल (750 मिली प्रत्येक)। कुल शराब: 15.9 लीटर, कीमत करीब 11,200 रुपए। निरीक्षक प्रभारी कुंदन कुमार के नेतृत्व में एसआई विजेंद्र मुवाल, एएसआई योगेंद्र यादव और आरपीएसएफ जवानों ने कार्रवाई की और चूंकि बिहार में शराबबंदी लागू है, माल को मौके पर ही जब्त कर जीआरपी के हवाले कर दिया। जीआरपी ने भी नियम निभाते हुए बिहार उत्पाद शुल्क संशोधन अधिनियम की धारा 30(ए) के तहत मामला दर्ज कर लिया।

जब हर बार आरपीएफ ही मैदान में गोल मार रही है, तो जीआरपी आखिर कर क्या रही है? जानकारों का कहना है कि आरपीएफ केंद्र सरकार के अधीन होकर रेलवे संपत्ति और यात्रियों की सुरक्षा देखती है, जबकि जीआरपी राज्य पुलिस का हिस्सा है और रेलवे क्षेत्र में अपराध की जांच करती है। लेकिन हाल के दिनों में तस्वीर साफ है एक तरफ आरपीएफ एक्सप्रेस, तो दूसरी तरफ जीआरपी पासेंजर।

































































































