त्याग, प्रेम और संयम का अनुपम आदर्श है भरत चरित्र: स्वामी प्रेमाचार्य

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भरत जैसे भाई का उदाहरण आज के समाज के लिए अत्यंत प्रेरणादायक, श्रीराम कथा में उमड़े श्रद्धालु                     बक्सर खबर। रामरेखा घाट स्थित रामेश्वर नाथ मंदिर प्रांगण में चल रही श्रीराम कथा के दौरान शनिवार को कथा व्यास स्वामी प्रेमाचार्य पीताम्बर जी महाराज ने भरत चरित्र की महिमा का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भरत त्याग, संयम, धैर्य और ईश्वर प्रेम की साक्षात मूर्ति हैं। भरत जी का जीवन आज के समाज को यह सिखाता है कि भाई-भाई में प्रेम, सहयोग और समर्पण की भावना होनी चाहिए, न कि स्वार्थ और ईर्ष्या।

स्वामी जी ने बताया कि जब भरत जी को यह ज्ञात हुआ कि उनकी माता कैकेयी के कारण राम को वनवास मिला, तो वे व्यथित हो उठे। उन्होंने तुरंत चित्रकूट जाकर श्रीराम से भेंट की और उन्हें अयोध्या लौटने का अनुरोध किया। श्रीराम ने प्रेमपूर्वक चरण पादुका देकर भरत को वापस लौटाया। यह दृश्य दर्शकों की आंखों में आंसू ला गया।समाज को आइना दिखाते हुए स्वामी जी ने कहा कि जहां आज के युग में संपत्ति के लिए भाई-भाई कोर्ट कचहरी तक लड़ते हैं, वहीं राम और भरत ने एक-दूसरे के अधिकारों का सम्मान करते हुए त्याग का मार्ग अपनाया। राम ने राज्य त्याग कर वनवास स्वीकार किया, तो भरत ने राज्य को भाई की चरण पादुका के चरणों में समर्पित कर दिया।

मंदिर में श्रीराम कथा सुनती महिलाएं

स्वामी पीताम्बर जी ने बताया कि इतिहास में तीन राम माने गए हैं परशुराम, दशरथपुत्र श्रीराम और बलराम। इसी तरह तीन भरत भी माने जाते हैं जड़भरत, शकुंतला पुत्र भरत और दशरथ पुत्र भरत। भरत चरित्र को नियमपूर्वक सुनने से श्रीराम के चरणों में प्रेम उत्पन्न होता है और मन निर्मल बनता है। कथा के अंत में स्वामी जी ने कहा कि श्रीराम कथा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन को दिशा देने वाला आध्यात्मिक पथ है। यदि समाज में लोग एक-दूसरे के सुख-दुख को अपना मानकर एकजुट प्रयास करें, तो यह समाज स्वर्ग से भी सुंदर हो सकता है। नोट: राम कथा का आयोजन प्रतिदिन सायं 4 बजे से रामरेखा घाट स्थित रामेश्वर नाथ मंदिर में हो रहा है। श्रद्धालु अधिक संख्या में भाग लेकर पुण्य लाभ अर्जित करें।

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