कलश यात्रा के साथ श्रीमद्भागवत कथा का भव्य शुभारंभ

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श्रीमद्भागवत भगवान की शब्दमयी मूर्ति: आचार्य रणधीर ओझा                                                                 बक्सर खबर। जिले के राजपुर प्रखंड के सगराव गांव में मंगलवार को सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का भव्य शुभारंभ हुआ। भक्तिमय माहौल में आयोजित इस कथा के पहले दिन हजारों श्रद्धालुओं ने उत्साहपूर्वक कलश यात्रा में भाग लिया। गाजे-बाजे के साथ चौसा से लाई गई पवित्र जल से भरे कलशों के साथ निकली यह यात्रा पूरे गांव में भक्ति की लहर दौड़ा गई। कथा के प्रथम दिवस पर व्यासपीठ से बोलते हुए बक्सर वाले मामाजी के कृपापात्र आचार्य रणधीर ओझा ने श्रीमद्भागवत कथा के महत्व पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह ग्रंथ स्वयं भगवान की शब्दमयी मूर्ति है।

जिस प्रकार हम पत्थर, सोना, लकड़ी या हीरे की मूर्ति में भगवान की शक्ति को प्रतिष्ठित कर उनकी पूजा करते हैं और उनसे शक्ति का अनुभव करते हैं, ठीक उसी प्रकार श्रीमद्भागवत महापुराण भगवान का ही स्वरूप है। इसे स्वयं वेदव्यास जी ने रचा है और इसमें भगवान की दिव्य ज्योति नहीं, बल्कि स्वयं भगवान श्रीकृष्ण विराजमान हैं। आचार्य श्री ने आगे उद्धव जी के प्रसंग का उल्लेख करते हुए बताया कि कृष्णावतार में अपनी लीला पूर्ण करने के बाद जब भगवान श्रीकृष्ण अपने धाम जाने लगे, तब उद्धव जी के निवेदन पर उन्होंने अपने श्री विग्रह को श्रीमद्भागवत में प्रतिष्ठित कर दिया। आचार्य श्री ने “भगवतः ईमे भागवतो:” का अर्थ बताते हुए कहा कि भगवान के संबंधियों को ही भागवत कहा जाता है और जिस ग्रंथ में उन भगवान के संबंधियों की कथा गाई जाती है, वही श्रीमद्भागवत है। उन्होंने बताया कि हमारा भगवान श्रीकृष्ण से पांच प्रकार से संबंध स्थापित हो सकता है – शांत भाव, दास भाव, सांख्य भाव, वात्सल्य भाव और माधुर्य भाव। कथा के आयोजक उदय नारायण यादव ने बताया कि यह ज्ञान और भक्ति की धारा 6 मई से 12 मई तक अनवरत प्रवाहित होगी। इस धार्मिक आयोजन में विजय नारायण सिंह, धीरेन्द्र कुमार, अंश कुमार, प्रियव्रत पाण्डेय और अलख पांडेय जैसे प्रमुख लोग सक्रिय रूप से सहयोग कर रहे हैं।

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