बक्सर खबर। जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक में जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खुल गई। समीक्षा में आईपीडी, संस्थागत प्रसव, एनक्यूएएस सर्टिफिकेशन, और एंबुलेंस सेवाओं समेत कई क्षेत्रों में गंभीर लापरवाही सामने आई। सदर अस्पताल और चौगाई सीएचसी में आईपीडी एडमिशन के आंकड़ों में विसंगति पाई गई। सिविल सर्जन को स्वयं जांच कर रिपोर्ट देने का आदेश दिया गया।
चौगाई, नावानगर, केसठ सहित कई स्वास्थ्य केंद्रों में अप्रैल महीने में एक भी आकस्मिक मरीज दर्ज नहीं किया गया। सिमरी सीएचसी में यह आंकड़ा सिर्फ 6 रहा। कई डॉक्टर 11 बजे के बाद ओपीडी शुरू कर रहे थे। औसत भ्रमण और प्रतीक्षा समय भी अत्यधिक पाया गया। इन पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए।डुमरांव, राजपुर और बक्सर के विभिन्न अस्पतालों में अनुपस्थित डॉक्टरों, एएनएम और अन्य स्टाफ का वेतन रोक दिया गया है। मेट्रन आभा श्रीवास्तव पर अनुश्रवण में लापरवाही के कारण वेतन स्थगित किया गया। राजपुर के स्वास्थ्य प्रबंधक द्वारा एनक्यूएएस टीम से दुर्व्यवहार के चलते उनका वेतन रोका गया और स्पष्टीकरण मांगा गया। जिलाधिकारी ने सिविल सर्जन को सभी विभागों की नियमित समीक्षा कर सुधार लाने व दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया।बैठक में जिले के सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी मौजूद रहे।