-चुनावी रंजिश और पड़ोसियों की प्रगति देख परेशान था दयाद
बक्सर खबर। क्या तमाशा है। जरा सी बात को लेकर नरसंहार करता है कोई। लेकिन, शनिवार की सुबह राजपुर थाना के अहियापुर गांव में जो घटना हुई। वह तो यही दर्शा रही है। वहां का हाल जानने में जुटे गुरु का माथा वहां का दर्द देखकर एक दम से गरम हो गया है। उन्होंने कहा जब बात अपने मतलब की हो तो लोग संबंध जोड़ते हैं। जाती और धर्म का रिश्ता बताते हैं। चुनाव आता है तो पैर पकड़ते हैं। लेकिन, जब मतलब निकल जाए अथवा बात नहीं बने तो ऐसा घाव भी करते हैं। अपने ही गांव में दयाद की छाती तोड़ने से भी बाज नहीं आते।
शनिवार की सुबह राजपुर थाना के अहियापुर गांव में जो घटना हुई है। वह तो इसकी बात को पुख्ता कर रही है। मौके पर जो बातें सुनने को मिली। उससे यह तो स्पष्ट हो गया। मृतकों के परिवार से अहियापुर के दूसरे अदावती पक्ष की रंजीश पंचायत चुनाव के बाद से ही बढ़ गई थी। 22 में हुए पंचायत चुनाव में मनोज यादव और संतोष को करारी हार का सामना करना पड़ा था। उनको अपने गांव में भी विरोध झेलना पड़ा था। कहां तो उस घर में तीन-तीन पंचायत प्रतिनिधि थे। लेकिन, एक भी पद हाथ नहीं आया। हालांकि जितने वाला पक्ष भी उन्हीं की जाति का था। लेकिन, जब अपना मतलब नहीं सधे जो भाड़ में जाए जाति। गोली मारने में भी परहेज नहीं किया।
दूसरे पक्ष से अदावत साधने के लिए उस जगह पर अड़ंगा खड़ा किया। जहां उसका अपना धंधा चल रहा था। पहले बालू गिराया और अगली सुबह गिट्टी गिराने लगे। दोनों पक्ष आमने-सामने आया। लेकिन, उनका इस बात का इल्म नहीं था। वे सीधे हत्या पर उतारी हो जाएंगे। और हुआ भी वहीं। बातचीत के दौरान ग्रामीणों ने बताया दो साल पहले जिला प्रशासन को ज्ञापन दे बताया गया था। उस परिवार ने सरकारी भूमि पर कब्जा किया हुआ है। सामुदायिक भवन को घर में बनवा लिया है। लेकिन, प्रशासन की कार्रवाई धरी की धरी रह गई। आज एक बार फिर वह मुद्दा उठा है। और प्रशासन को बगले झांकने पर मजबूर होना पड़ा है। (गुरू गरम है, हमारा साप्ताहिक कॉलम है। जो प्रत्येक शनिवार को प्रकाशित होता है। इसमें प्रशासनिक लापरवाही और व्यवस्था के बदइंजामी पर सवाल उठाया जाता है।)