बक्सर खबर (गुरू गरम है) । मौसम तप रहा है। और गाड़ी के टंकी से तेल उड़ रहा है। तभी तो माइलेज घट रहा है। बिहार में तेल आस पड़ोस के प्रदेशों से महंगा बिक रहा है। ऐसे में यही कहा जा सकता है। गाड़ी माइलेज कम दे रही होगी। क्योंकि महंगा तेल बेचने वाले मात्रा तो कम देंगे नहीं। क्योंकि रकम जो ज्यादा वसूल रहे हैं। यही सोचते गुरू घर वापस लौटे। हाथ मुंह धोने के बाद अखबार उठाया तो खबर दिखी। प्रशासन करेगा पेट्रोल पंप की जांच। ग्राहकों को मिलने वाली सुविधा का लिया जाएगा जायजा। गैस एजेंसी वालों को भी जारी हुई चेतावनी। वजन में कम हुआ तो लग सकता है दंड। यह पढ़ हंसी छूट गई।
सरकार और प्रशासन दोनों ड्रामा कर रहे हैं। यह आदेश आए महीनों गुजर गए। हुई क्या आजतक किसी पंप संचालक पर कार्रवाई। बैठ करते हैं, फाइल दौड़ाते हैं। खबर की कतरन लगाते हैं और भेज देते हैं रिपोर्ट। शहर की बात कौन करे। पूरे जिले में किसी भी पंप पर लोगों को इस तपती गर्मी में ठंडा पानी नसीब नहीं होता। पेट्रोलियम मंत्रालय की गाइडलाइन में इसका उल्लेख है। ग्राहकों को पानी, वाहन में हवा की जांच और जरूरत पड़ने पर प्राथमिक उपचार से जुड़ी सहायता उपलब्ध करानी है। इसकी जांच तो यह प्रशासन करता नहीं। बाइक वाले हों या कार वाले। सबको हवा चेक कराने के लिए दस और बीस रुपये देने पड़ते हैं।
हां इतना जरूर है। पेट्रोल पंप वाले पास में पंचर बनाने वाले की दुकान जरूर खुलवा देते हैं। प्रशासन अगर ईमानदार होता तो यह सुविधा तो प्रत्येक पंप पर जरूर मिलती। इसके लिए परिवहन विभाग भी कम जिम्मेदार नहीं है। वाहन जांच के समय प्रदूषण के कागजात की जांच होती है। लेकिन, कुछ वर्ष पहले जो प्रदूषण जांच केन्द्र खुले थे। अब सारे के सारे बंद नजर आते हैं। सभी पंप पर यह सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश था। वह भी कहीं नजर नहीं आता। ऐसे में प्रशासन का यह कहना कि पेट्रोल पंप की जांच होगी। लोगों को मिलने वाली सुविधा का ब्योरा लिया जाएगा। यह सब दिखावा भर ही तो है। अगर नहीं है तो इस सप्ताह में जांच कर दिखाओ। कितने पर कार्रवाई करते हो। तो पता चले, मोटी तनख्वाह लेने भर से नहीं होता। काम भी करना पड़ता है।( गुरू गरम है, बक्सर खबर का साप्ताहिक कालम है। जो प्रत्येक शनिवार को प्रकाशित होता है। इसमें लोगों की परेशानी और प्रशासन की मनमानी पर विशेष चर्चा होती है।)
किसी न किसी को समज के लिए जागना होगा