बच्चों की भावनाओं और माताओं के अनुभवों से गूंज उठा ऑडिटोरियम। बक्सर खबर। स्थानीय फाउंडेशन स्कूल के ऑडिटोरियम में को दो विशेष कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। मेरी मां समारोह और गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती पर संगोष्ठी। इस मौके पर विद्यालय के अकादमिक प्रमुख एसके दुबे मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। कार्यक्रम की शुरुआत माताओं द्वारा मंत्रोच्चार के बीच दीप जलाकर की गई। इसके बाद बच्चों ने मंच पर आकर अपनी मां के प्रति भावनाएं खुले दिल से साझा कीं। किसी ने मां को पहली गुरु बताया तो किसी ने उन्हें प्रेरणा का स्रोत कहा।
बच्चों ने कहा, “मां का प्यार समुद्र से भी गहरा होता है। वह हमारी पहली रक्षक और सबसे बड़ी ताकत होती हैं।” भावनाओं से भरे इन शब्दों ने पूरे माहौल को भावुक कर दिया। छात्र-छात्राओं द्वारा प्रस्तुत नाटक और नृत्य ने सभी का मन मोह लिया। कार्यक्रम में कई माताओं ने मंच पर आकर अपने अनुभव साझा किए। हिंदी शिक्षिका मीना ने कहा, “मां सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि संपूर्ण प्रेरणा होती है, जो हर परिस्थिति में हमें प्रेम और धैर्य से जीना सिखाती है।” वहीं शिक्षिका भारती देवी ने कहा, “मां की मेहनत, उसका विश्वास और उसका प्यार हमें जीवन की हर चुनौती से लड़ने का साहस देता है।”

कार्यक्रम के दूसरे भाग में रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती पर संगोष्ठी आयोजित हुई। इस दौरान उनके साहित्य, शिक्षा दर्शन और विचारों पर विद्यार्थियों और शिक्षकों ने अपने विचार रखे। विद्यालय के उप प्रचार्य मनोज त्रिगुण ने कहा, “टैगोर का साहित्य हमें नैतिकता, आत्मबल और करुणा का पाठ पढ़ाता है। उनका ‘एकला चलो रे’ आज भी प्रेरणा देता है कि जब साथ न मिले, तब अकेले आगे बढ़ो।” विद्यार्थियों ने टैगोर के जीवन, रचनाओं और विचारों पर आधारित प्रस्तुति दी। छात्राओं ने उनकी चित्रकारी और शिक्षा पद्धति को भी सामने रखा, जिसमें संवाद और बाल मनोविज्ञान को विशेष महत्व दिया गया। कार्यक्रम का संचालन गरिमापूर्ण अंदाज में मीना ने किया। अंत में उपस्थित सभी अभिभावकों और मेहमानों ने आयोजन की सराहना की और विद्यार्थियों की प्रतिभा की खुलकर प्रशंसा की।