बौद्ध धरोहर है भारत की रणनीतिक ताकत: आनन्द मिश्र

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उग्रवाद और कट्टरपंथ का मुकाबला बौद्ध सिद्धांतों से किया जा सकता है, केरल और बिहार के राज्यपाल कार्यक्रम में शामिल                                                                   बक्सर खबर। आईआईएम बोधगया में आयोजित बोधगया डायलॉग का मंच शुक्रवार को एक अहम विमर्श का साक्षी बना। सुरक्षा और भू-राजनीति: बहुध्रुवीय विश्व में बौद्ध विरासत का मृदु शक्ति के रूप में लाभ उठाना विषय पर आयोजित इस विशेष सत्र में देशभर से विद्वान, नीति विशेषज्ञ और शिक्षाविद जुटे। कार्यक्रम का संचालन फोरम फॉर इंटीग्रेटेड नेशनल सिक्योरिटी ने किया। इस मौके पर बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और केरल के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। पूर्व आईपीएस व भाजपा नेता आनन्द मिश्र ने अपने संबोधन में कहा कि बौद्ध धरोहर सिर्फ आध्यात्मिक परंपरा नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक संपदा है।उन्होंने समझाया कि आधुनिक भू-राजनीति में सिर्फ सैन्य और आर्थिक ताकत ही नहीं, बल्कि संस्कृति, विचार और मूल्य भी किसी देश की वैश्विक छवि को मजबूत बनाते हैं। यही सॉफ्ट पावर है, और भारत के पास इसकी सबसे बड़ी पूंजी बौद्ध विरासत है।

आनन्द मिश्र ने जोर देकर कहा कि बौद्ध धरोहर एशिया और दुनिया भर में सांस्कृतिक सेतु का काम कर सकती है। इससे पर्यटन, व्यापार और आर्थिक कूटनीति को नई दिशा मिलेगी। यह लोगों के बीच विश्वास और सहयोग को बढ़ाने का जरिया है। उग्रवाद और कट्टरपंथ का मुकाबला बौद्ध सिद्धांतों की करुणा और शांति से किया जा सकता है। सांस्कृतिक धरोहर को राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का हिस्सा बनाना जरूरी है।बोधगया सिर्फ भगवान बुद्ध के ज्ञान-प्राप्ति का स्थल नहीं, बल्कि 21वीं सदी में भारत की सांस्कृतिक कूटनीति का केन्द्र है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि चीन, जापान, थाईलैंड और श्रीलंका अपनी बौद्ध विरासत को कूटनीतिक ताकत बना रहे हैं, भारत को भी इसे वैश्विक स्तर पर मजबूती से प्रस्तुत करना चाहिए।

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