बक्सर खबर । यह भी जाने :-
बक्सर स्टेशन कब बना। यह जानने की लालसा हर उस बक्सर वासी को होगी। जो यहां का निवासी है। जब पटना और मुगलसराय के बीच 1862 में इकहरी लाइन (ब्राड गेज)बिछाई गई। उसी वर्ष बक्सर स्टेशन स्थापित हुआ। समय गुजरने के साथ 1868 में आरा और बक्सर के बीच लाइन का दोहरी करण हुआ। पुन: 1882 में बक्सर और दिलदारनगर के बीच दोहरी करण हुआ। हालाकि इस बीच बक्सर का जितना विकास होना चाहिए था वह नहीं हुआ। बक्सर बिहार का प्रवेश द्वार है। यह आवाज समय रहते लोकसभा में भी उठी। बहुत समय तक यह रूट उपेक्षित रहा। जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी तो नीतीश रेल मंत्री बने। उस दौर में पटना और मुगलसराय के बीच विद्युतीकरण का कार्य पूरा हुआ।
बिजली से जुड़ जाने के बाद इस रुट पर चलने वाली ट्रेनों का विस्तार हुआ। साथ ही मुगलसराय से डीजल इंजन पटना रूट पर भेजने की विवशता भी खत्म हुई। वर्तमान सरकार ने भी यहां के स्टेशन को बिहार के पर्यटक स्टेशन की सूची में शामिल किया है। विश्व स्तरीय स्टेशन बनाने की घोषणा वर्ष 2017-18 में हुई। लेकिन, सरकार की शर्तों के अनुरुप कोई एजेंसी निर्माण को तैयार नहीं हुई। इससे पूर्व रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने यहां का दौरा किया। यहां बनकर तैयार हुए द्वितीय श्रेणी के प्रतीक्षालय का शुभारंभ किया। चुकी मंत्री आ रहे थे इस लिए कुछ जगहों पर वाटर कूलर सीमेंट की बनी कुर्सियां रखी गई, नए पखे लगे। जिससे यात्री सुविधाओं में इजाफा हुआ। नए फूट ओवर ब्रिज का शुभारंभ हुआ।
बक्सर को भगवान राम की संस्कृति से जोडऩे के लिए कुछ जगहों पर विश्वामित्र व राम के चित्र बनाए गए। लेकिन, बावजूद इसके एक घोषणा और अधूरी रह गई। यहां इलेक्ट्रानिक सीढ़ी लगाई जानी थी। उसका भूमि पूजन भी हुआ। लेकिन, कोलकत्ता में रहने वाले बक्सर के ठेकेदार ने पहले काम लटकाया और फिर शस्त्र गुजर जाने और महंगाई का हवाला दे प्राक्कलन बढ़ाने का आवेदन सौंप दिया। इन उपेक्षाओं के बीच कुछ माह पहले स्टेशन ने बड़ा उपद्रव झेला। स्टेशन को काफी नुकसान पहुंचा। इलेक्ट्रानिक उपकरणों एवं जगह-जगह लगी लाइट व पंखे तोड़ दिए गए। इस वजह से रात में जगमग करने वाले स्टेशन को नजर लग गई। लेकिन, फिलहाल उन सभी को दुरुस्त किया जा रहा है।

































































































