धर्म, समाज और राजनीति जब भटकते हैं, तब होता है देश का पतन : आचार्य कृष्णानंद शास्त्री 

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रामरेखा घाट स्थित रामेश्वर नाथ मंदिर परिसर में सिद्धाश्रम धाम का 17वां धर्म आयोजन,कथा में उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़                                       बक्सर खबर। सर्वजन कल्याण सेवा समिति सिद्धाश्रम धाम द्वारा आयोजित 17वें धर्म आयोजन के चतुर्थ दिवस पर रामरेखा घाट स्थित रामेश्वर नाथ मंदिर परिसर में सोमवार को भव्य कथा का आयोजन हुआ। इस अवसर पर प्रसिद्ध कथावाचक आचार्य कृष्णानंद शास्त्री ‘पौराणिक जी महाराज’ ने गूढ़ धार्मिक संदेशों से श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। कथा के दौरान आचार्य शास्त्री ने कहा “जब राजनीति, धर्मनीति और समाजनीति दिशाहीन हो जाती है तो देश धीरे-धीरे गुलामी की ओर बढ़ता है। इसका मूल कारण है मानव का स्वार्थ। जब इंसान अपने हित में ही डूब जाता है, तब वह राक्षसी प्रवृत्ति अपनाता है और समाज में अधर्म फैलने लगता है।”

कथावाचक ने श्री मार्कंडेय पुराण का संदर्भ देते हुए कहा, “भारत केवल भूमि का खंड नहीं, बल्कि यह सनातन धर्म की अखंड धरती है। यहां की गंगा जल, तुलसी दल और शालिग्राम केवल प्रतीक नहीं, बल्कि मोक्ष देने वाली ब्रह्म वस्तुएं हैं। यही वह पावन भूमि है जहां नारायण ने बार-बार अवतार लिया है- वराह से लेकर श्रीकृष्ण तक।” उन्होंने आगे कहा, “यह वही धरती है जो परमात्मा के साक्षात अनुभव का स्थान है। यही लोक ईश्वर को भी भक्त के अधीन कर देता है। यहां की भक्ति बैकुंठ का मार्ग बनती है और यही से अधर्म का विनाश होता है।”

रामेश्वर नाथ मंदिर परिसर में कथा सुनती महिलाएं

कथा के अंत में शास्त्री जी ने समाज के संतों और धर्माचार्यों से आग्रह किया कि वे अपने आचरण और उपदेशों से समाज में धर्म, संस्कार और सिद्धांत की अलख जगाएं। “यदि संत जागरूक हों तो समाज अधर्म की ओर नहीं बढ़ सकता।” कथा सुनने के लिए मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ी, जिनमें महिलाओं की संख्या विशेष रूप से उल्लेखनीय रही। कथा के हर प्रसंग पर श्रद्धालु भावविभोर होते नजर आए। आयोजन स्थल पर भक्ति, ज्ञान और संस्कार की त्रिवेणी बह रही थी।

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