श्रीराम, सीता, हनुमान, विश्वामित्र – मेनका से लेकर कुंभकर्ण तक मिट्टी की दुर्लभ मूर्तियों में झांकता हजारों साल पुराना इतिहास बक्सर खबर। रामकथा की अमर कहानियों और भारतीय कला की अनमोल विरासत को समेटे चौसा गढ़ की मृण्मूर्ति दीर्घा का भव्य शुभारंभ रविवार को शहर के सीताराम उपाध्याय संग्रहालय में हुआ। राज्यसभा के पूर्व सांसद नागेन्द्र नाथ ओझा, नगर परिषद चेयरपर्सन कमरुन निशा और डुमरांव महाराज मानविजय सिंह ने संयुक्त रूप से इसका लोकार्पण किया। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए श्री ओझा ने कहा कि “चौसा गढ़ की इन मृण्मूर्तियों से भारतीय कला इतिहास को नई दिशा मिलेगी। सिर्फ मूर्तियों ही नहीं, इन्हें गढ़ने वाले शिल्पकारों की जीवनशैली पर भी गहन शोध की जरूरत है।” संग्रहालयाध्यक्ष डॉ. शिव कुमार मिश्र ने बताया कि वर्ष 2011 से 2014 तक हुए उत्खनन में चौसा गढ़ से चार संस्कृतियों के पुरावशेष मिले हैं, जिससे संकेत मिलता है कि यहां 4 से 5 हजार वर्ष पुरानी सभ्यता मौजूद थी।
इस दौरान एक टेराकोटा से बना वैष्णव मंदिर भी मिला। चौसा गढ़ से प्राप्त मूर्तियों में रामायण के कई प्रसिद्ध दृश्य जीवंत रूप में दर्शाए गए हैं। चौथी शताब्दी की शिव-पार्वती विवाह की मृण्मूर्ति, विश्वामित्र, मेनका और शकुंतला की दुर्लभ मूर्तियां,सीता हरण का दृश्य जिसमें सामान्य वेशधारी रावण को वस्त्र खींचते दिखाया गया है, राम की गोद में सुग्रीव, कुंभकर्ण वध का दृश्य जिसमें राम, लक्ष्मण, हनुमान और अन्य वानर नजर आते हैं। त्रिसिरा, यक्ष-गंधर्व दंपति, लंका में बंदरों का उत्पात, कीर्तिमुख, मानव आकृतियां आदि इन सभी मृण्मूर्तियों को संग्रहालय में एक विशेष दीर्घा में सुसज्जित कर आम जन के लिए प्रस्तुत किया गया है। डॉ मिश्र ने बताया कि 1931 में भी चौसा गढ़ से 18 जैन धर्म से जुड़ी कांस्य प्रतिमाएं मिली थीं, जो फिलहाल बिहार संग्रहालय में सुरक्षित हैं।

कार्यक्रम में नगर परिषद चेयरपर्सन कमरुन निशा ने संग्रहालय प्रशासन को बक्सर की समृद्ध विरासत को संजोने के लिए धन्यवाद देते हुए हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया। इस अवसर पर डुमरांव महाराज मानविजय सिंह, पूर्व अभिलेख पदाधिकारी डॉ जवाहर लाल वर्मा, रजनीश कुमार सिंह ,साहित्यकार लक्ष्मी कांत मुकुल, डॉ विजय शंकर मिश्र, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी के शोध छात्र प्रीतम कुमार, चंदन कुमार एवं कमलेश कुमार ने भी संगोष्ठी को संबोधित किया। इस अवसर पर राम मुरारी, देव दत्त उपाध्याय, ऋषिकांत चतुर्वेदी, अभिराम दुबे, अनिकेत कुमार, अरविंद कुमार सिंह,मनीष कुमार, कृष्ण मुरारी राय, चिन्मय प्रकाश झा, सलाउद्दीन अंसारी, साकेत झा, रामरुप ठाकुर, मोहम्मद आशिक, रवि तिवारी,अभिशेष चौबे, अभिनंदन कुमार, डॉ एस एन सिंह सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।