600 रुपये मजदूरी और मनरेगा की बहाली के लिए सड़क पर उतरे मजदूर

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पूर्व विधायक अजीत कुशवाहा ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना                                                                  बक्सर खबर। मनरेगा की कथित समाप्ति और मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा के देशव्यापी आह्वान पर डुमरांव में जोरदार विरोध मार्च निकाला गया। भाकपा-माले और खेग्रामस के संयुक्त नेतृत्व में निकले इस जुलूस में बड़ी संख्या में मजदूर, महिलाएं और युवा शामिल हुए। जुलूस डुमरांव बाजार स्थित शहीद पार्क से शुरू होकर विभिन्न इलाकों से गुजरते हुए नया थाना परिसर तक पहुंचा, जहां सभा का आयोजन किया गया। सभा को संबोधित करते हुए आरवाईए के नवनिर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक डॉ अजीत सिंह कुशवाहा ने कहा कि केंद्र सरकार शुरू से ही मनरेगा को खत्म करने की मंशा रखती रही है। कम मजदूरी, भुगतान में देरी, जॉब कार्ड रद्द करना और काम देने में टालमटोल कर मजदूरों का भरोसा तोड़ा गया। अब मनरेगा की जगह नई योजना लाकर रोजगार की कानूनी गारंटी ही खत्म कर दी गई है।

उन्होंने कहा कि नई योजना में 125 दिन काम की बात तो है, लेकिन इसकी कोई कानूनी बाध्यता नहीं है। ऊपर से खर्च का 40 प्रतिशत बोझ राज्यों पर डाल दिया गया है, जो मजदूरों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। 600 रुपये प्रतिदिन मजदूरी की मांग को भी सरकार ने नजरअंदाज कर दिया। वक्ताओं ने श्रम संहिताओं का भी कड़ा विरोध करते हुए कहा कि 44 श्रम कानूनों को खत्म कर 4 संहिताएं लाना मजदूरों को अधिकारहीन बनाने की साजिश है। सभा में मनरेगा की पूर्ण कानूनी गारंटी बहाल करने, मजदूरी बढ़ाने और मजदूर विरोधी नीतियां वापस लेने की मांग की गई। मार्च का नेतृत्व भाकपा-माले जिला सचिव नवीन कुमार, खेग्रामस जिला सचिव नारायण दास, जिलाध्यक्ष कन्हैया पासवान, डुमरांव माले सचिव धर्मेंद्र सिंह, ऐपवा नेत्री रेखा देवी और पूजा यादव ने किया। सभा की अध्यक्षता कामरेड नारायण दास ने की। मौके पर ललन प्रसाद, अभय पाण्डेय, कृष्णा राम, भगवान दास, शंकर तिवारी, संजय शर्मा, शैलेन्द्र पासवान, नासिर हसन, सुरेश राम सहित कई नेता और कार्यकर्ता मौजूद रहे।

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