बक्सर खबर। विश्व तंबाकू निषेध दिवस के अवसर पर शनिवार को व्यवहार न्यायालय में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश-सह-अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार हर्षित सिंह ने न्यायिक पदाधिकारियों, कर्मचारियों, पैनल अधिवक्ताओं व पारा विधिक स्वयंसेवकों को तंबाकू सेवन नहीं करने की शपथ दिलाई। उन्होंने कहा कि तंबाकू का सेवन शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए घातक है। तंबाकू से होने वाली मौतों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ही 1987 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तंबाकू निषेध दिवस मनाने की पहल की थी। पहली बार यह दिवस 1988 में अप्रैल माह में मनाया गया, लेकिन बाद में 31 मई की तारीख तय की गई। उन्होंने बताया कि तंबाकू से हृदय रोग, स्ट्रोक, कैंसर जैसी घातक बीमारियां होती हैं। इसके बावजूद दुनियाभर में लोग बड़ी संख्या में सिगरेट, बीड़ी, गुटखा जैसे उत्पादों का सेवन कर रहे हैं, जो चिंता का विषय है।
इस अवसर पर अवर न्यायाधीश-सह-सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकार नेहा दयाल ने बताया कि हर वर्ष डब्ल्यूएचओ विश्व तंबाकू निषेध दिवस के लिए एक थीम निर्धारित करता है। इस वर्ष की थीम है अपील को उजागर करना: तंबाकू और निकोटीन उत्पादों पर उद्योग की रणनीति को उजागर करना।उन्होंने बताया कि विश्वभर में 13 से 15 वर्ष की उम्र के लगभग 37 मिलियन युवा तंबाकू उत्पादों का उपयोग करते हैं। यह आंकड़ा आने वाले भविष्य के लिए गंभीर संकेत है। कार्यक्रम में प्रधान न्यायाधीश मनोज कुमार, अपर सत्र न्यायाधीश उदय प्रताप सिंह, देवराज, सुधीर कुमार, सुमित कुमार, सुनील कुमार, रंजन कुमार, संतोष कुमार, कुमार मानवेंद्र, राजेश कुमार, कंचन कुमारी, अशोक कुमार पाठक, अंजुम कुमार रावत, गजेंद्र नाथ दुबे, कविंद्र पाठक, विकेश कुमार आदि शामिल थे। इस जागरूकता अभियान के अंत में न्यायिक पदाधिकारी, न्यायालय कर्मचारी, पैनल अधिवक्ता एवं पारा विधिक स्वयंसेवकों ने यह संकल्प लिया कि वे स्वयं तंबाकू से दूर रहेंगे और समाज में इसके खिलाफ जागरूकता फैलाएंगे।