बक्सर खबर (माउथ मीडिया) : वैसे तो बतकुच्चन गुरु का फोन बे वक्त नहीं आता। लेकिन, इस बार एक दिन पहले ही आ गया। उन्होंने छूटते ही सवाल दागा। गुरु हमका बताओ बिहार में क्या मिलता है? मैं उनके सवाल से अचकचा गया। पूछा, आपका तात्पर्य क्या है। वे कहने लगे हम्मर पड़ोस में एक गदेलवा रहता है। पांचवी में पढ़े हैं। ऑनलाइन सवाल के जवाब देबे बदे हमरा पास आया। इ सवाल उ हमसे पूछा रहा। ओकरा हम बताए यहां धान मिलता है, आम मिलता है, केला और लीची मिलता है। पहले कोइला और अबरक मिलता रहा। लेकिन, प्रदेश दो फांड हो गया। ए बदे उ सब झारखंड में चला गवा। लेकिन, बालू और आलू भी यहां मिलता है।
गदेलवा हमरा के बोला आप पढ़ते नहीं हैं। लगता है न्यूज भी नहीं सुनते। अरे यहां मजदूर मिलता है। सब टीवी पर दिखाता है। चालीस लाख लोग आए हैं। इस लॉकडाउन में। ओकर बात सुने त हम्मर माथा घूम गवा। बतकुच्चन गुरू की बाते सुन मेरा भी माथा ठनका। आजकल के बच्चे भी कितने शातिर हो गए हैं। लेकिन, मुझे लगा यहां चुप रहना। बिहार के स्वाभिमान के साथ खिलवाड़ होगा। मैंने कहा यह ज्ञान की धरती है, किसान की धरती है। आर्यभट्टी और बुद्ध के ज्ञान की भूमि है। राम की शिक्षा स्थली है। यहां के किसान नया कीर्तिमान बना रहे हैं। मेरी बात पर बतकुच्चन गुरू उखड़ गए। मुझे इतना खरी-खरी सुनाए की मैं सोच में पड़ गया। अपनी गलती का एहसास होने लगा। उनकी बातें सुनने में ही भलाई है। बोलना खतरे से खाली नहीं। हालांकि उनकी जली-कटी सुनने का भी अपना अलग आनंद है।
जैसे वे बोले जा रहे थे। शास्त्री कालेज में ट्रेनिंग ले के आए हो। किताब पढ़े हो, जमीन पर रहते हो की आसमान में। सच्चाई दिखा नहीं देती। लोग कहते हैं सरकार खराब है। अरे जौन काम करे हैं। सब के सब नवाब है। बिहार में का बचा है। ले दे के किसान हैं। उ के का हाल है। कोई से छीपा है। हम सुने रहे। सरकार एसएमएस बहाल की है। गांवे-गांवे जाएगा। किसान के बुद्धि बताएगा। सरकारी योजना के लाभ दिलाएगा। गांव में पूछे पर पता चलता है। एसएमएस के किसाने ढूंढ रहा है। बहुत लोग के पते ना है। एमएमएस होता का है। जौन विभाग के निचला कर्मचारी के इ हाल है। उ किसान का कल्याण करेगा। हमके त भरोसा नहीं है। आज किसान का बिहार मजदूर का बिहार बन गवा। उ सब इहां काम नहीं करता है। बाहर जा के होटल पर प्लेट माजता है। मैंने कहा जी, जी, जी, तब जाकर वे चुप हुए। और मैने राहत की सांस ली।
माउथ मीडिया : बक्सर खबर का साप्ताहिक कालम है। जो प्रत्येक शुक्रवार को प्रकाशित होता है।



































































































बिलकुल सही बोले है। यह पर सस्ता मजदूर और महंगा शिक्षा और जमीन है