अटकलों का बाजार गर्म, एनडीए को मिल सकती है जिले में जगह

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-बातें हुई विकास की लेकिन मतदान में हावी रही जाति
बक्सर खबर। मतदान की प्रक्रिया संपन्न हो चुकी है। और अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। कहां से कौन जीत रहा है। इस बात की चर्चा खूब हो रही है। चुनावी गणित का आकलन करने वाले अपनी-अपनी जीत बता रहे हैं। अब तक के जो भी रुझान सामने आए हैं। उससे इतना तो स्पष्ट है। सभी सीटों पर एनडीए और महागठबंधन के मध्य सीधा मुकाबला है। कोई यह मानने को तैयार नहीं, हम कमजोर पड़ रहे हैं। और यह भी अकाट्य सत्य है कि चार सीटों पर चार ही वियजी होंगे। आठ होने से रहे। लेकिन, जब तक परिणाम नहीं आते। दावे तमाम हो रहे हैं और इनकी चर्चा 14 तक चलती रही ही रहेगी। लेकिन, इस बार जिले में एनडीए की वापसी होगी। इस बात को नकारा नहीं जा सकता।

इसकी वजह मौजूदा विधायकों से लोगों की नाराजगी हो अथवा मौजूदा सरकार का बिजली, पेंशन जैसी स्कीम। अगर बात करें परिवर्तन की तो सबसे पहला नंबर आता है राजपुर का। जहां बदलाव की सबसे मजबूत संभावना दिख रही है। दूसरा नंबर आता है बक्सर का। यहां मत के प्रतिशत में बड़ा इजाफा हुआ है। वर्ष 2020 के चुनाव में 56.32 प्रतिशत मत पड़े थे। इस बार 65 प्रतिशत मतदान हुआ है। 20 के चुनाव में कांग्रेस को 59417 मत मिले थे। भाजपा को 3892 मत से पराजय का सामना करना पड़ा था। लेकिन, पिछली बार उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी को 30489 मत मिले थे। उन मतों की वापसी से भाजपा को सर्वाधिक उम्मीद है। लेकिन, विरोधी खेमा जाति को कारण बताकर उन मतों को बसपा के खाते में जोड़ रहा है। अपनी जीत के दावे कर रहा है।

लेकिन इस गुणा-भाग को जन सुराज की मजबूत उपस्थिति बिगाड़ रही है। लेकिन, यहां भी उलटफेर की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। बात अगर डुमरांव की करें तो वहां भी कांटे की टक्कर है। क्योकि पिछले चुनाव में भाकपा माले के अजीत को 71320 मत प्राप्त हुए थे। जदयू की अंजुम आरा 46905 मत पाकर दूसरे स्थान पर रहीं थी। लेकिन, यहां तब लोजपा व उपेन्द्र कुशवाहा दोनों की पार्टियां अलग-अलग लड़ी थी। उन मतों का एक साथ आना चुनावी गणित को रोचक बना रहा है। अब बात कर लेते हैं चौथी सीट ब्रह्मपुर की। जहां सबसे कम मतदान हुआ है। 2020 में 54 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस बार 59 प्रतिशत हुआ है।

यहां राजद को बड़ी जीत मिली थी। शंभू यादव को 90176 मत प्राप्त हुए थे। उस समय 15 उम्मीदवार मैदान में थे। लोजपा के हुलासा एनडीए से अलग होकर लड़े थे। 39035 मत पाकर वे दूसरे स्थान पर रहे थे। लेकिन, इस बार उम्मीदवारों की संख्या आधी हो गई है। और मतों का ध्रुवीकरण भी। यहां पिछड़ी जातियां ही निर्णायक हैं। उन्होंने जिसका साथ दिया होगा। जीत उसी के खाते में जाएगी। फिलहाल यही है जिले का हाल। और इन अटकलों के मध्य यह चर्चा है कि, पिछली बार जिले में खाता न खोल पाने वाली एनडीए इस बार यहां बढ़त ले सकती है। हालांकि यह सब अनुमान है। परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा। किस सीट पर कौन जीत हासिल करता है।

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