चौसा की धरती से फिर गरजे खेत-खलिहान के सिपाही, बोले फर्जी मुकदमों से डरने वाले नहीं हैं हम बक्सर खबर। भीषण गर्मी और लू के थपेड़ों को मात देते हुए बक्सर के बनारपुर पंचायत भवन में शुक्रवार को सैकड़ों किसान-मजदूरों ने अपनी हक की आवाज बुलंद की। प्रभावित किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा, बिहार के बैनर तले आयोजित किसान-मजदूर समागम में जुटे लोगों ने एक स्वर में प्रशासन को दो टूक संदेश दे डाला—“हम न डरेंगे, न रुकेंगे!” समागम में तय हुआ कि अगर 20 मार्च 2024 जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति की गई, तो प्रशासनिक पदाधिकारियों और पुलिस कर्मियों पर न्यायालय के निर्देश पर कानूनी कार्रवाई जरूर की जाएगी। किसान नेताओं ने चेताया कि अगर फर्जी मुकदमों और दमन की कार्रवाई फिर दोहराई गई, तो अगला बड़ा आंदोलन चौसा के ऐतिहासिक मैदान में होगा, जहां कभी शेरशाह सूरी ने हुमायूं को परास्त किया था।
भारतीय किसान यूनियन, बिहार के प्रभारी दिनेश कुमार ने कहा कि प्रशासन चाहे जितना आतंक फैला ले, किसान अपने हक की लड़ाई नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि पुलिस प्रशासन सोचता है कि वे सत्ता के बल पर किसानों की आवाज दबा देंगे, तो वे भ्रम में हैं। वरिष्ठ किसान नेता अशोक प्रसाद सिंह ने आरोप लगाया कि जिला प्रशासन ने चौसा थर्मल प्रबंधन कंपनी के इशारे पर गांव को फिर से आतंकित करने की साजिश रची है। उन्होंने कहा, “झूठे मुकदमे, मीडिया में झूठी खबरें और भय का माहौल ये सब प्रशासन की मिलीभगत है। मगर अब किसान इन चालों को समझ चुका है।” संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रामप्रवेश यादव ने साफ कहा कि जिला प्रशासन कंपनी से सांठगांठ कर किसान विरोधी रवैया अपना रहा है। उन्होंने मांग की कि कंपनी से करोड़ों की वसूली करने वाले अधिकारियों की जांच कराई जाए। मीडिया प्रभारी मुन्ना तिवारी ने कहा कि झूठे मुकदमों और डराने की कोशिशों से किसान पीछे नहीं हटने वाले। उन्होंने चेतावनी दी “पाई-पाई का हिसाब होगा। यह शाहाबाद की धरती है, यहां की छाती चौड़ी है।” समागम की अध्यक्षता शैलेश राय और मंच संचालन विजय नारायण राय ने किया। सभा में दर्जनों किसान नेताओं ने अपने विचार रखे और ऐलान किया कि अब आर-पार की लड़ाई होगी।